Sir Isaac Newton. In hindi
अभी हमे इस ब्रह्मांड के बारे में काफी कुछ जानना बाकि है. प्रकृति के ना जाने ऐसे कितने ही रहस्य है जो अभी सुलझाने बाकि है. लेकिन एक बात तो तय है, जब से इंसान इस धरती पर आया है तब से लगातार विकास की ओर कदम बढ़ाता जा रहा है, आज विज्ञान और टेक्नोलोजी के फील्ड में हम अपने पूर्वजो से कहीं ज्यादा आगे है. लेकिन एक सच ये भी है कि अगर इस धरती पर कुछ महान लोगों का जन्म नहीं हुआ होता शायद हम इतनी तरक्की भी नहीं कर पाते.
सर आइज़ैक न्यूटन दुनिया के सबसे महान साइंटिस्ट में से एक थे. एक महान मैं थमेटीशियन, फिजिसिस्ट, एस्ट्रोनोमर और थियोलोजियन होने के साथ-साथ वो एक ऑथर भी थे. विज्ञान की दुनिया के कई रहस्यों को सुलझाने के लिए ये दुनिया हमेशा ही उनकी एहसानमंद रहेगी. साइंटिफिक रेवोल्यूशन यानी सांइस की दुनिया में क्रान्ति लाने में न्यूटन का बहुत बड़ा हाथ रहा है, बल्कि यूं कह सकते है कि उनकी साइंटिफिक थ्योरीज़ साइंस की बहुत सी थ्योरीज़ का आधार बनी है. अपने काम को लेकर उनका जो जुनून और लगाव था, उससे बहुत से लोगों को प्रेरणा भी मिली है.
दरअसल न्यूटन ने अपना पूरा जीवन ही साइंस के नाम कर दिया था. चाहे बेशक आप साइंस के स्टूडेंट ना हो लेकिन न्यूटन की थ्योरी और उनकी डिसकवरी ने आपकी लाइफ को भी कहीं ना कहीं जरूर छुआ होगा. आज हमे फिजिक्स की जितनी भी जानकारी है और जो भी हम इस बारे में जानते है, वो न्यूटन की वजह से ही पॉसिबल हो पाया है. न्यूटन की कहानी सिर्फ़ इतनी नहीं है कि उनके सिर पर एक सेब गिरा था, बल्कि इससे कहीं ज्यादा है, तो चलिए इस बुक समरी के जरिये आज हम न्यूटन की ज़िंदगी की दिलचस्प कहानी के बारे में जानेंगे.
हैना न्यूटन से शादी के सिर्फ़ पांच महीने बाद ही आइज़ैक न्यूटन सीनियर काफी बीमार पड़ गए और इस दुनिया से चल बसे थे, मरने से पहले वो अपनी सारी दौलत अपनी बीवी के नाम छोड़ गए थे. पति की मौत के तीन महीने बाद हैना न्यूटन के एक बच्चा पैदा हुआ.
यानी सन 1642 में 25 दिसम्बर के दिन लिंकनशायर में वूल्सथॉर्प में वूल्सथॉर्प मैं नर में हैना न्यूटन ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम रखा गया था, आइज़ैक न्यूटन.
दरअसल आइज़ैक एक प्री मैं च्योर बेबी पैदा हुए थे और काफी कमजोर थे. उनकी माँ के अलावा किसी को भी उनके बचने की उम्मीद नहीं थे. उनका सिर इतना छोटा था कि कई दिनों तक उनके सिर को एक कालर के सहारे टिका कर रखा गया था. बड़े होने के बाद भी न्यूटन अपनी उम्र के बाकि बच्चो से कमजोर और छोटे लगते थे. जन्म के कुछ दिनों बाद ही उन्हें एक चर्च में ले जाकर क्रिशिचियन रीती-रिवाजों के हिसाब से बैप्टाईज़ किया गया और उनके पिता के नाम पर ही उनका नाम भी आइज़ैक न्यूटन रखा गया..
न्यूटन जब तीन साल के थे तो उनकी माँ ने एक उम्रदार पादरी बार्नबस स्मिथ से शादी कर ली. न्यूटन की माँ ने ये शादी एक शर्त पर की थी कि उनके नए पति वूल्सथॉर्प मैं नर के रखरखाव का पूरा खर्चा उठाएंगे जिसके इकलौते वारिस उनके बेटे न्यूटन थे. शादी के बाद न्यूटन की माँ अपने नए पति के साथ नार्थ विथम चली गई और अपने बेटे आइज़ैक को उनके नाना-नानी यानि मिस्टर एंड मिसेज एसक्यू के पास छोड़ गई. न्यूटन के ग्रैंडपेरेंट्स के घर से नॉर्थ विथम एक मील से ज्यादा दूर नहीं था पर ये बात नन्हे न्यूटन को अंदर ही अंदर खाए जाती थी कि उसकी माँ उसके इतने करीब होते हुए भी उससे दूर है.
जन्म से पहले ही पिता की मौत और अपनी माँ के दूर चले जाने की वजह से न्यूटन को बाकि बच्चो जैसा एक खुशहाल बचपन नहीं मिल पाया था. न्यूटन के दुःख की एक वजह और भी थी कि वो अपने सौतेले पिता को जरा भी पसंद नहीं करते थे और इस बात को लेकर वो अपनी माँ से भी नाराज़ रहते थे.
आइज़ैक के पिता एक अनपढ़ आदमी थे इसलिए उनकी माँ की हमेशा यही कोशिश रही कि कम से कम न्यूटन तो पढ़-लिख जाए हालाँकि वो ये भी चाहती थी कि न्यूटन अपने पिता की तरह एक अमीर और सफल किसान बने. इसलिए नॉर्थ विथम में रहते हुए भी उनकी बराबर यही कोशिश रहती थी कि न्यूटन अच्छी तालीम हासिल करे.