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The 7 Habits of Highly Effective People in hindi

 The 7 Habits of Highly Effective People in hindi




 

एक हाइली इफेक्टिव आदमी कौन होता है? एक हाइली इफेक्टिव इंसान वो होता है जिसका केरेक्टर अच्छा हो. जिसके पास स्ट्रोंग वेल्यूज़ हो. क्या आपकी कभी अपने किसी रिश्तेदार या कलीग से खटपट हुई है? किसी से ये उम्मीद रखना कि वे बदले, उससे पहले आपको खुद को बदलना होगा. क्या आपको लगता है कि आपमें खुद को इम्प्रूव करने की क्वालिटी है? एक हाइली इफेक्टिव इंसान के दुसरे लोगो के साथ भी अच्छे रिलेशन होते है. वो अपने परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और कलीग्स के साथ मिलजुल कर रहता है. और एक अच्छा रिलेशन सालो साल तक चलता है. 

 

एक हाइली इफेक्टिव इंसान कैसे बना जाए, ये आप इस किताब को पढ़कर सीख सकते है. जो भी आपकी जॉब हो, आप इस किताब से ये बात जान सकते है. जैसे कि अगर आप एक पेरेंट है तो अपने बच्चे के साथ अपना रिलेशनशिप और भी बेहतर बना सकते है. अगर आप एक बॉस है जो इस किताब में आपको ऐसे टिप्स मिलेंगे जिनसे आप और भी अच्छे लीडर बन पायेंगे. जब आपका केरेक्टर अच्छा हो तो लोग भी आपसे नज़दीकी बढ़ाना चाहते है.

 

इसीलिए तो “द सेवेन हेबिट्स ऑफ़ हाइली इफेक्टिव पीपल” एक इंटरनेशनल बेस्ट सेलर है. ये किताब केरेक्टर इम्प्रूव करने में फोकस करती है.ज़्यादातर किताबे आपको इस बारे में किलेंगी कि दोस्त कैसे बनाये या लोगो को इम्प्रेस कैसे करे मगर सेवन हैबिट्स आपको सबसे पहले एक इफेक्टिव इंसान बनाने पर फोकस करती है. अगर आपकी पर्सेनिलिटी अच्छी है तो बेशक आप भी एक इफेक्टिव इंसान बन सकते है मगर वो बस थोड़े टाइम के लिए होगा. लोगो को जल्द ही पता चल जाएगा कि आपके हर काम के पीछे कोई मतलब, कोई मोटिव है. लेकिन अगर आपका केरेक्टर अच्छा है तो वो लाइफ टाइम तक आपके साथ रहेगा. आप अपने आस-पास के लोगो को इन्फ्लुएंस करते रहेंगे और आपको इसका पता भी नहीं चलेगा.लेकिन याद रखे कि आपको सबसे पहले अपने अन्दर से शुरू करना है. तो क्या आप तैयार है चेंज होने के लिय? क्या आज आप एक हाइली इफेक्टिव पर्सन बनेगे? 

 

हैबिट 1

(PROACTIVE) प्रोएक्टिव बने 


प्रोएक्टिव बनने का मतलब क्या है ? साकोलोजिस्ट विक्टर फ्रेंकल कहते है “हमारे आस-पास जो भी कुछ होता है हम उसे बदल नहीं सकते” लेकिन हम इस पर कैसे रीस्पोंड करे ये हमारे हाथ में है. प्रोएक्टिव होने का मतलब होता है कि दुसरे लोग चाहे जो भी ओपिनियंस दे या जैसा भी उनका बेहेवियर हो हमें उससे अफेक्टेड नहीं होना है. जब लोग हमारे बारे में कुछ बुरा बोलते है तो कमी हमारे अंदर नहीं होती बल्कि उनमे होती है. जो नेगेटिव बात वो आपके बारे में बोलते है उनसे उनके खुद के नेगेटिव व्यू का पता चलता है कि वे दुनिया को किस नज़र से देखते है. प्रोएक्टिव होने का मतलब ये भी है कि आप किसी भी बुरी सिचुएशन से अफेक्ट ना हो. फिर चाहे मौसम खराब हो या ट्रेफिक लेकिन एक प्रोएक्टिव इंसान को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

 

उसकी जिंदगी में बुरा वक्त या गरीबी आये मगर वो हर हाल में खुश रहेगा. एक प्रोएक्टिव इंसान बुरे से बुरे हालत में भी बगैर कोई कम्प्लेंन किये अपना काम करता रहेगा. प्रोएक्टिव का उल्टा रीएक्टिव होता है. और जो लोग रीएक्टिव होते है वो अपने एन्वायरमेंट से बहुत जल्दी अफेक्ट हो जाते है. अगर उनके साथ कुछ बुरा होता है तो वो खुद भी नेगेटिव बन जाते है | एक बार लेखक स्टीफन कोवी जब सेक्रामेन्टो में एक लेक्चर दे रहे थे तब अचानक भीड़ में से एक औरत खड़ी हुई . वो बड़ी एक्साइटेड होकर कुछ बोल रही थी कि तभी उसकी नज़र लोगो पर पड़ी जो उसे घूर रहे थे. लोगो को ऐसे घूरते देखकर वो औरत वापस बैठ गई. अपना लेक्चर खत्म करने के बाद स्टीफन कोवी उस औरत के पास गए.

 

उन्हें मालूम पड़ा कि वो औरत दरअसल एक नर्स थी और एक बड़े बीमार पेशेंट की फुल टाइम देखभाल कर रही थी. उसका वो पेशंट हर टाइम उस पर चिल्लाता रहता था. उसकी नज़र में वो सब कुछ गलत करती थी. उसने कभी भी उस नर्स को थैंक यू तक नहीं बोला था. इन सब बातो की वजह से वो औरत बड़ी दुखी रहती थी. वो अपनी जॉब से बिलकुल भी खुश नहीं थी. उस दिन स्टीफन कोवी के लेक्चर का सब्जेक्ट भी प्रोएक्टीवीटी ही था. कोवी एक्सप्लेन कर रहे थे कि अगर तुम प्रोएक्टिव हो तो कोई भी चीज़ तुम्हे हर्ट नहीं कर सकती. जब तक आप खुद ना चाहे तब तक कोई आपको दुखी नहीं कर सकता. ये लेक्चर सुनकर वो औरत एक्साइटेड हो गयी थी क्योंकि उसे पता चल गया था कि रिस्पोंड करना या ना करना उसके हाथ में है.

 

उसने कोवी को बताया” मैंने दुखी होना खुद चुना था मगर अब मुझे रिलायिज हो गया है कि दुखी या सुखी होना मेरे हाथ में है लेकिन अब किसी दुसरे इंसान का बिहेवियर मुझे कंट्रोल नहीं कर सकता. एक रिएकटिव इन्सान का मूड TV की तरह होता है जिसका रिमोट कन्ट्रोल दुनिया के हाथ में है। जब भी कोई चाहेगा वो उस रिएक्टिव इन्सान का मूड चेंच कर सकता है। लेकिन एक प्रोड्क्टिव इन्सान वो है जिसने अपने मूड का रिमोट कन्ट्रोल अपने पास रखा है। एक प्रोडक्टिव इन्सान को कोई फर्क नही प़डता कि दूसरा इन्सान उसके बारे में क्या सोच या बोल रहा है।

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