Bechne Ka Sabse Alag Tareeka Book

Bechne Ka Sabse Alag Tareeka

How to Sell Without Selling (Hindi)
आपके बिज़नेस को एक नया और अनोखा दृष्टिकोण देने वाली बुक।

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SECRETS OF GIANTS IN HINDI

 


SECRETS OF GIANTS - A Journey to Uncover the True Meaning of Strength

Alyssa Ages

इंट्रोडक्शन 

ह्यूमन बॉडी का कोई जवाब  नहीं है! जब आप खतरे में होते हैं तो या कुछ गलत होता है तो ये आपको तुरंत अलर्ट कर देता   है। अगर आप बीमार हैं तो ये पूरी ताकत के साथ वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ़ लड़ता  है। 

ह्यूमन बॉडी अलग-अलग शेप और साइज़ की होती  है। क्या आपको लगता है कि आपकी बॉडी एक्स्ट्राऑर्डिनरी  है? या फिर आप एक स्ट्रॉंग बॉडी होने के किसी  स्टैन्डर्ड आईडिया  में यकीन रखते हैं? 

क्या स्ट्रॉंग होने का मतलब है कि आपके सिक्स पैक ऐब्स  होने चाहिए? क्या इसका ये मतलब है कि आपको एक दिन के लिए भी जिम जाना  स्किप  नहीं  करना चाहिए? 

इस बुक की ऑथर अलीसा ऐजेस एक् पावरलिफ्टर, स्ट्रॉंगमैन कॉम्पटीटर और वेटलिफ्टर हैं। वो सबसे ज़्यादा एक्टिव लोगों में से एक हैं। ये बुक अलीसा के एक स्ट्रॉंगमैन कॉम्पटीशन की जर्नी के बारे में बताती है, जो एक बेहद ज़बरदस्त लेकिन टफ कॉम्पटीशन है जो इंसान की ताकत  को measure करता है। 

ये समरी  आपको  सिर्फ़ ये  नहीं  सिखाएगी कि आप एक ह्यूमन बॉडी को कितना पुश कर सकते हैं बल्कि ये आपको ताकत का असली मतलब भी बताएगी।

What is Strength?


इस बुक की ऑथर अलीसा 40 साल की हैं। उनके एक बेहद प्यार करने वाले पति और दो बच्चे हैं। अलीसा फिट रहना पसंद करती हैं। वो रोज़ वर्कआउट करती हैं और उन्होंने कईं वेटलिफ्टिंग कॉम्पटीशन और क्रॉसफिट प्रोग्राम भी  ज़्वाईन किए  हैं। आप शायद सोच रहे होंगे कि अलीसा जैसे लोग कभी भी गर्मी की दोपहर में 50  टन का  ट्रक खींचने की हिम्मत  नहीं  करेंगे,  लेकिन आप गलत हैं। 

अलीसा को खुद को लिमिट  में बांधना पसंद  नहीं है। जब उनके जिम के कुछ फ्रेंड्स ने उन्हें  स्ट्रॉंगमैन ट्राई करने का मशवरा दिया तो उन्होंने उसे try करने का फैसला किया। स्ट्रॉंगमैन एक वेटलिफ्टिंग sport  है जो इंसान की ताकत, endurance यानी सहनशक्ति और स्पीड को टेस्ट करता है। स्ट्रॉंगमैन ट्रेनिंग में बिल्कुल अलग टाइप के टूल्स यूज़ किए जाते हैं जैसे कि लॉग्स, सैंडबैग और चेन। 

इसमें अलीसा का गोल एकदम सिंपल था: उन्हें 60 सेकंड  में एक रस्सी के सहारे  जितनी दूर हो सके 50  टन का ट्रक खींचना था। 

यहाँ तक पहुँचने में अलीसा को कईं साल लगे। उनका ऑरिजिनल प्लान 5  साल पहले सेम स्पॉट में रहना था,  लेकिन उनका प्लान तब चेंज हुआ जब उन्हें  पता चला कि वो माँ बनने वाली हैं। 

अलीसा और उनके husband की खुशी का ठिकाना  नहीं  था। हालांकि उन्हें  ये भी पता था कि प्रेग्नेंसी के शुरुवाती कुछ महीने कितने खतरनाक हो सकते हैं। इसमें miscarriage होने का बहुत चांस होता है। वो अपनी उम्मीदें बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ाना चाहते थे लेकिन वो अपनी एक्साईटमेंट भी  नहीं  छुपा पा रहे थे, इसलिए जब उन्होंने पहला  अल्ट्रासाउंड कराया तो उनकी उम्मीद टूट गई। बच्चे की हार्टबीट  नहीं  थी। ये दर्द अलीसा के लिए बर्दाश्त के बाहर था। 

इस miscarriage  के लिए वो खुद को दोष दे रही थीं। शायद उनकी रोज़ की दौड़  ने उनकी प्रेगनेंसी पर बुरा असर डाला था और उनके वेटलिफ्टिंग सेशन भी तो थे. शायद इस दुखद घटना  के पीछे यही वजह थी। 

अलीसा बह्दे गर्व से ख़ुद को एक गो-गेटर कहती हैं। वो अपने लिए गोल्स सेट करती हैं और उन्हें  पूरा भी करती हैं। उनकी बॉडी ने ऐसी-ऐसी चीज़े की हैं जिसे करने की आम इंसान सोच भी  नहीं  सकता है। उन्होंने मैराथन में ऐसे  दौड़ लगाईं  है जैसे ये उनके लिए कुछ भी  नहीं था। वो  बाईक चलाती हैं  और वो मीलो-मील दौड़ती  हैं। इतना सब कुछ करने के बावजूद वो अपने पेट में एक छोटा बच्चा  नहीं  संभाल पाईं। 

उदास और खुद से नाराज़ अलीसा ने एक ही चीज़ की जो उन्हें  सुकून देता था: वो सीधा जिम चली गई। उनके कोच डेन ने उनके लिए एक वर्कआउट बनाया जो उनकी ज़रूरत के हिसाब से फिट बैठता था। अगले कुछ घंटों तक अलीसा अपना सारा गुस्सा, frustration  और उदासी वेटलिफ्टिंग के थ्रू निकालती रही। आखिर में जब उनके मसल्स दर्द करने लगे तब उन्होंने संतुष्ट महसूस किया। वो बीच-बीच में थोड़ा break लेती  और फिर से  शुरू हो जाती। उन्हें  पता था कि इस डिसकम्फर्ट को वो आसानी से दूर  कर सकती हैं। 

लेकिन वेट लिफ्टिंग से भी उनका दुख कम  नहीं  हुआ। हालाँकि,  इसने अलीसा को अपनी ताकत  का एहसास ज़रूर करा दिया। ये उनकी फिजिकल ताकत  की बात  नहीं  थी बल्कि ईमोशनल ताकत  की बात थी जिसकी वजह से वो इतना दर्द बर्दाश्त कर गई  थी। 

अक्सर अलीसा घंटों रोती रहती। कईं बार उनकी ऐंगज़ाईटी उनके डेली रूटीन को भी डिस्टर्ब कर देती थी। वो चाहती  नहीं  थी पर इसके बावजूद वो आगे बढ़ती रही। स्ट्रेंग्थ या ताकत  का मतलब ये नहीं है कि आपको दर्द नहीं होगा बल्कि इसका मतलब है अपने स्ट्रगल को  मैनेज करना। 

फाईनली, अलीसा ट्रक को फिनिश लाइन तक खींचने में कामयाब रहीं। वो जोश में आकर अपने husband  की तरफ देखते हुए ज़ोर से चिल्लाई और उनकी  बेटियों ने उन्हें  गले लगा लिया। स्ट्रॉंगमैन कॉम्पटीशन ने साबित  कर दिया था कि वो  बड़ी से बड़ी चीज़े कर  सकती हैं। 

 

The Allure of the Grind

अलीसा का वर्कआउट रूटीन किसी जिम के टिपिकल माहौल में  नहीं किया जा  सकता था। असल में, उन्हें  जो वर्कआउट करना था उसमें उन्हें मेटल के भारी-भारी टुकड़े उठाकर किसी बड़े फूटपाथ  या किसी खाली पार्किंग लॉट में चलना था। 

ये उस दिन की बात है जब दोपहर के वक्त उनके कोच डेन के दिमाग में दो चीज़े चल रही थी: अलीसा को 260 पाउंड का एक स्लेज खींचना था और दूसरा 185 पाउंड का स्लेज खींचना था। 

स्ट्रॉंगमैन ट्रेनिंग की खास बात ये है कि इसमें आप रुक  नहीं  सकते। एक बार जब आप उस स्लेज  या ट्रक को खींचना शुरू कर देते हैं  और आपको फ़ील होने लगता है कि टायर घूम रहे हैं, तो उसके बाद आपको रुकना  नहीं  चाहिए। आगे बढ़ते रहने के लिए आपको उस मोमेंटम की ज़रूरत होती है। 

अलीसा ज़ोरों से चिल्लाते हुए खुद को जोश दिलाती “चलते रहो! चलते रहो!”, फ़िर  चाहे दर्द से उनकी माँसपेशियाँ क्यों ना  फट रही हों। उनका सारा फोकस इस बात पर रहता कि उनका एक पैर दूसरे से आगे बढ़ता  रहे। वो जानती थीं  कि उनका हर कदम उन्हें  फिनिश लाइन के एक कदम और करीब  ले आएगा। 

और जब वो 260 पाउंड के स्लेज को फिनिश लाइन तक खींच लाई तो डेन ने उनके लिए चीयर किया। फिर अलीसा वापस गई और दूसरे स्लेज  को भी खींचकर ले आई। टास्क पूरा होने के बाद वो चेहरे पर बड़ी मुस्कान लिए ज़मीन  पर लेट गई। 

अलीसा को ख़ुद पर बहुत गर्व हो रहा था। वो इसे बस एक शुरुवाती जीत मान रही थीं। वो इसलिए क्योंकि वो धीरे-धीरे और वेट add  करती जा रही थी। इन छोटे-छोटे इम्प्रूवमेंट ने उन्हें  कम वक्त में ही भारी-भरकम स्लेज ढोने  के काबिल बना दिया था। 

जब आप किसी चीज़ में एक्सीलेंट  होते हैं तो ये चीज़ आपको  बहुत  खुश और प्राउड फ़ील कराती है। एक्सर्साइज़ करना आपको एक डोपमीन रश देता है इसलिए इसमें  कोई हैरानी की बात  नहीं है  कि बहुत से लोग वर्कआउट के बाद एनर्जी से भरा हुआ  और ख़ुश  फ़ील करते हैं. कईं  लोग इस फीलिंग को फील करने के पीछे भागते हैं। 

अलीसा भी कईं सालों से इस फीलिंग के लिए तरस  रही थी,  लेकिन लिफ्टिंग के बारे में उन्हें  जो सबसे अच्छी बात लगती थी वो था tangible यानी असली प्रोग्रेस। 

वेट लिफ्टिंग की शुरुवात आप स्टील के खाली बार उठाने से करते हैं। इस एक्सरसाईज़ के लिए करेक्ट फॉर्म में होना बहुत ज़रूरी है ताकि आप और अच्छे से वेट उठा सकें और खुद को चोट-चपेट से बचा सकें। 

फिर आप बार के दोनों तरफ प्लेट add  करना शुरू करते हैं। यही चीज़ बताती है कि आप प्रोग्रेस कर रहे हैं। इससे बार और भारी होता जाता है और  आपके  मसल्स नज़र आने लगते  हैं,  लेकिन ये चीज़ आप एक बार भारी वज़न उठाकर अचीव  नहीं  कर सकते। 

चैलेंज को  एक्सेप्ट करके आप अपना  मनपसंद रिजल्ट  पा सकते हैं। इससे  ये सोचकर आपको बड़ी तस्सली होती है कि आप कुछ पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वेट लिफ्टिंग ने अलीसा को हंबल यानी विनम्र  भी बना दिया  था। और लोगों की तरह अलीसा को भी उस वक्त बहुत frustration होती थी जब उन्हें  लगता था  कि वो प्रोग्रेस  नहीं  कर पा रही हैं। 

कभी-कभी वो अपने जिम के सेशन से रोज़ की तरह संतुष्ट नहीं होती हैं। शायद जल्दी थक जाने की वजह से वो एक सेट फिनिश  नहीं  कर पाती थी। प्रोग्रेस रातों-रात  नहीं  होती है  और आपको इस बात पर गुस्सा आ सकता  है। 

लेकिन एक और प्रोडक्टिव ऑप्शन है: आप इस बात को मान सकते हैं कि धीरे-धीरे ग्रोथ होती रहेगी और इस दौरान आप इस प्रोसेस को appreciate  कर सकते हैं। 
 

How Do You Want to Feel?

फर्स्ट चैप्टर में, अलीसा एक ट्रक को पार्किंग लॉट के दूसरी तरफ खींचने की कोशिश कर रही थी। दूसरे स्पोर्ट्स की तरह उन्हें  भी वहाँ तक पहुँचने के लिए कईं कॉम्पटीशन से होकर गुज़रना पड़ा था। एक ट्रक को खींचना एक बड़े  कॉम्पटीशन  ‘ऑफिशियल स्ट्रॉंगमैन गेम्स (OSG)’ का हिस्सा था। 
OSG कमाल का कॉम्पटीशन है क्योंकि इसमें बिगिनर्स  और सीज़न्ड लेजन्ड दोनों लोग  शामिल होते हैं। इस तरह वो लोग जो स्ट्रॉंगमैन में नए हैं, उन्हें  उन लोगों की एड्वाइज़ सुनने को मिलती है जो इस फील्ड में कईं सालों से हैं। 

अलीसा कुछ सालों से ट्रेनिंग कर रही थी इसलिए वो ये  नहीं  कह सकती थी कि वो एक बिगिनर  हैं लेकिन वो खुद को एक सीज़न्ड प्रोफ़ेशनल  नहीं  कह सकती थीं। वो दूसरे कॉम्पटीटर्स को देखकर इन  OSG का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाने की कोशिश करती हैं। कुछ लोगों को देखकर लगता है कि वेट  लिफ्टिंग कितना आसान है, जबकि कुछ लोग जमीन से एक इंच ऊपर भी वेट   नहीं  उठा पाते थे। 

इससे अलीसा को अपने फेलियर के बारे में सोचने का मौका मिला। अलीसा को भी कईं बार हार  का सामना करना पड़ा था। उन्हें  उस वक्त शर्म आती थी जब वो उन कॉम्पटीशन्स के बारे में सोचती थीं  जो उन्होंने अपनी फेमिली, अपने कोच और लोगों  के सामने बीते कुछ सालों में हारे थे। 

इससे पहले अलीसा एकदम सीरियस चेहरे   के साथ कम्पीट किया करती थी। उस वक्त उनके अंदर “मुझसे पंगा  मत लेना!” वाली वाइब होती थी। लेकिन जब उन्होंने ऐनाबेल  चैपमेन को कम्पीट करते देखा तो  उस पल  के बाद से अलीसा के कम्पीट  करने का तरीका ही बदल गया। 

2021 में, ऐनाबेल ने वर्ल्ड’स अल्टीमेट स्ट्रॉंगवुमन का  कॉम्पटीशन जीता था। उन्होंने हैवीवेट  ऐक्सल प्रेस में वर्ल्ड रिकार्ड सेट किया था जो 290 पाउंड का था। इतनी बड़ी अचीवमेंट के बाद आपको देखकर लोग डरने लगते हैं, लेकिन  एनाबेल बिल्कुल भी डरावनी और खतरनाक  नहीं  थी। वो जज और क्राउड को देखकर मुस्कुराई। एक ईवेंट में,  उन्होंने कॉम्पटीशन से बाहर  निकलने के लिए कार्टव्हील किया। 

एथलीट और कॉम्पटीटर्स दोनों ही  कॉम्पटीशन से पहले एक रिचुअल करते हैं। कुछ फोकस और मेडिटेट करना चाहते हैं और कुछ शांत रहते हैं और किसी से बात  नहीं  करना चाहते। लेकिन एनाबेल  ऐसा नहीं करती हैं। 

वो कभी भी प्रेशर को ख़ुद पर हावी नहीं होने देती हैं। उनका प्री-कॉम्पटीशन रिचुअल  है खुद को ये याद दिलाना कि वो पहले भी  अनगिनत बार वेट उठा चुकी हैं। ये उनके लिए कोई नई चीज़  नहीं  है। किसी कॉम्पटीशन में ऐनाबेल का attitude बिल्कुल वही रहता है जैसे उस वक्त रहता है जब वो जिम में होती हैं। उनका ये रूटीन उन्हें  शांत और पॉजिटिव रहने में मदद करता है। 

अलीसा अभी भी आए दिन अपने माइंडसेट के साथ  स्ट्रगल करती रहती हैं। वो खुद को याद दिलाती हैं  कि अगर वो फेल हो भी गई तो उन्हें कम प्यार नहीं मिलेगा। बाकि कॉम्पटीटर्स ने भी उन्हें  कुछ अच्छे और प्रैक्टिकल टिप्स दिए कि फेलियर  को किस तरह से देखना चाहिए। 

आप हमेशा  नहीं  जीत सकते। फेलियर  आपकी काबिलियत तय  नहीं  करता है। जो चीज़ मायने रखती है वो है अपनी  हर मुमकिन कोशिश करना। जीत को लेकर अपना नज़रिया  चेंज करना  इस जर्नी को आपके लिए और आसान और आपको और आज़ाद बना देगा। 

कॉम्पटीशन का मतलब फर्स्ट पोजिशन पर आना  या गोल्ड मेडल हासिल  करना  नहीं  है। इसका ये भी मतलब है कि आप अपने खुद के गोल्स अचीव कर रहे हैं और यही वो चीज़ है जो सबसे  ज़्यादा मायने रखती  है। 
 

Limits are a Trap


अलीसा जब स्ट्रॉंगमैन में गई तो वो पूरी तरह से कॉंफिडेंट   नहीं  थी। किसी भी दूसरे इंसान की तरह उन्हें  भी डाउट था कि वो किसी खास चैलेंज  में कुछ अचीव कर पाएँगी  या  नहीं, लेकिन अलीसा थक गई थी। अपनी पूरी ज़िंदगी वो कहती आ रही थी कि  “मैं  नहीं  कर सकती”। उन्होंने कईं मौके  सिर्फ़ इसलिए गंवा दिए थे क्योंकि उन्होंने  उनमें जाने की कोशिश तक  नहीं  की थी। 

इसलिए अब अलीसा ने “मैं  नहीं  कर सकती” के बजाय “मैं कोशिश करूंगी” कहना शुरू कर दिया था। अपनी vocabulary में ये छोटा सा चेंज करने से उनकी लाइफ पर गहरा असर पड़ा। इसने अलीसा को वो पुश दिया जिसने उन्हें  नई चीज़े ट्राई करने के लिए ज़्यादा हिम्मत दी। 

इस हिम्मत  के साथ झिझक  भी आई। क्या वो  टास्क इमपॉसिबल था या उनकी अपनी एक  लिमिट थी? क्या लिमिट भी कोई असली चीज़ होती है? 

अलीसा ने एक  कॉम्पटीशन में जाने का फैसला किया जहां उन्हें  पता था कि उन्हें  जवाब मिल जाएगा। अर्नोल्ड स्पोर्ट्स फेस्टिवल तीन दिन का ईवेंट होता है जो अर्नोल्ड श्वार्जनेगर  (Arnold Schwarzenegger) के नाम पर रखा गया है। इसमें 80  से भी  ज़्यादा स्ट्रेंग्थ्स स्पोर्ट्स category  थी और टिपिकली 20,000 से भी  ज़्यादा लोग आए  थे। 

अलीसा इस ईवेंट में उन लोगों से मिली जो इस ईवेंट के बड़े फैन थे और कुछ सेलिब्रिटीज़ से  भी। उन्होंने उस 3 दिन के इवेंट में जितना पॉसिबल था उतनी category देखने की कोशिश की। खुशकिस्मती से जिन लोगों से वो मिली थीं  उनमें  से एक थी जैन टॉड  (Jan Todd)। जैन वो  पहली औरत थी जिन्हें इंटरनेशनल पावरलिफ्टिंग हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था। 

जैन के लिए,  लिमिट एक चॉइस है। उन्होंने 1970 के शुरुवाती सालों में वेटलिफ्टिंग शुरू की थी। उनके husband टेरी टॉड  (Terry Todd) भी एक  पावरलिफ्टर थे। दोनों ही जिम जाते थे जिस वजह से उनके बीच बॉन्डिंग हो गई थी। एक दिन, दोनों ने एक औरत को  डेडलिफ्ट करते देखा तो वो उन्हें बहुत दिलचस्प लगा  इसलिए जैन  ने भी उसे  खुद ट्राई करने का इरादा किया। 

1970 के दशक में,  जिम जाना थोड़ा मुश्किल काम था। मर्द और औरतें एक साथ ट्रेनिंग  नहीं  कर सकते थे। इतना ही  नहीं  औरतों को कुछ  मशीन  यूज करने से मना किया जाता था। इससे जैन  के लिए डेडलिफ्टिंग में शामिल होना और भी मुश्किल हो गया था। 

इसमें थोड़ा वक्त तो लगा पर फाईनली उन्हें  एक ऐसा जिम मिल गया जहां पर जैन  ट्रेनिंग कर सकती थी। जिम वाले लगातार जैन को ये याद दिलाते  रहते थे कि उनके जिम में औरतों के लिए locker रूम या बाथरूम नहीं था। 

लेकिन इसके बावजूद जैन  ने अपनी कोशिश  नहीं  छोड़ी। कॉम्पटीशन में एंटर करना इतना भी आसान  नहीं  था। उस वक्त पावरलिफ्टिंग कॉम्पटीशन में औरतों के लिए अलग से कोई डिवीजन  नहीं  था. जैन  को अपनी वेट क्लास में मर्दों से मुकाबला  करना पड़ता था। जैन  एक के बाद एक रिकॉर्ड  तोड़ती रही। 1976 में, वो डेडलिफ्टिंग में 1000  से भी  ज़्यादा वेट उठा  सकती थी। 

जैन  को वेट  लिफ्टिंग बहुत पसंद था। ये उन्हें याद दिलाता था कि उनकी कोई लिमिट  नहीं  है। इस वजह से अब ज़्यादा से ज़्यादा औरतों ने वेटलिफ्ट करना शुरू कर दिया। इस पर  पॉलिटिकल और सोसाइटी से जुड़े मुद्दे  भी उठने लगे। जिम भी अब औरतों को सभी तरह के मशीन  यूज करने देते और कईं दूसरी सुविधाएं भी देने लगे थे.  जैन  और टेरी  ने भी पावरलिफ्टिंग ईवेंट्स में वुमन’स category की शुरुआत करने  के लिए ज़ोर  देना शुरू किया। 

यहाँ तक कि अब भी जैन अलग-अलग तरीकों से  अपनी आवाज़ उठा रही हैं। वो अर्नोल्ड स्ट्रॉंगमैन क्लासिक की डायरेक्टर है। वो टेक्सास यूनिवर्सिटी  में डिपार्ट्मन्ट ऑफ फिज़िकल कल्चर एंड  स्पोर्ट्स स्टडीज़ की हेड भी  है। 

अलीसा ने उनसे  एक सवाल पूछा कि वो कॉम्पटीशन से जुड़े डर को दूर  करने  के लिए क्या कर सकती हैं। इस पर जैन हंस पड़ीं  और बोली कि जितनी बार भी वो वेट  लिफ्ट करती हैं उन्हें  डर लगता है। वो अपने  डर पर कभी पूरी तरह से काबू तो  नहीं कर  सकी लेकिन इसके बावजूद वो फिर भी वेट उठाती थी। 

जैन  ने कभी भी अपने डर को खुद पर हावी  नहीं  होने दिया बल्कि उन्होंने इसे एक फ़्यूल की तरह यूज किया वो सब करने के लिए जो उन्हें  करना पसंद था। 

 

Face Yourself


अलीसा को शेप में रहना और अपनी लिमिट को  पुश करना अच्छा लगता है,  लेकिन इसका मतलब ये   नहीं है कि उनके कोच डेन जो भी एक्सरसाईज़ उनके लिए सेट करते थे वो करना उन्हें अच्छा लगता था। 

आज अलीसा अपने साइज़ से तीन-चार गुना बड़े पत्थर  उठाकर ख़ुद को distract कर रही थी। जब वो अपनी बेटी को डेकेयर ले जाती थीं तो अक्सर इन पत्थरों  को रास्ते पर  देखती थी। एक दिन,  उन्होंने डिसाइड किया कि वो उन पत्थरों  को अपने बैकयार्ड में ले जाएँगी। 

अलीसा को  ओवरहेड प्रेशिंग डे कुछ खास पसंद नहीं था। ओवरहेड प्रेश का मतलब है जब वो अपने सिर के ऊपर कोई चीज़ उठाती हैं। जब वो ऐसा करती थीं तो उनके मन में बुरे-बुरे ख़याल आने लगते थे कि वो चीज़ उनके सिर पर गिर गया और उनकी खोपड़ी टूट गई तो? अगर उन्होंने अपने बॉडी को गलत posture में रखा और उस सामान के वेट के कारण उनकी हड्डी  टूट गई तो? 

और आखिर  में अलीसा को गिल्टी फील  होने लगता है। वो  ओवरहेड प्रेशिंग एक्सरसाईज़ करने का फैसला करती हैं। वो अपने मसल्स को  वॉर्म अप करती हैं और उस वेट  को इन्स्पेक्ट करती हैं जो वो  बार में डालकर उठाने वाली हैं। 

इसकी  शुरुवात वो हल्के वेट से करती हैं  और इस बात का ध्यान रखती हैं  कि उनकी बॉडी का posture सही हो। आखिरकार वो 96 पाउंड के अपने करंट वर्किंग वेट तक पहुँच जाती हैं। उनके  रूटीन के हिसाब से उन्हें इसे कई बार उठाना पड़ता है।  

लेकिन जैसे ही उन्होंने मैट पर अपनी जगह ली तो  अलीसा डर गई। उन्हें कुछ बहुत गलत होने का डर लगने लगा,  लेकिन उन्होंने खुद को हिम्मत दी। वो कईं सालों से इसे   कर रही थी और आज तक कभी उन्हें चोट नहीं लगी थी क्योंकि वो इसे सही  तरीके से करना  जानती थी।  

अलीसा बिना कोई गलती किए अपने ओवरहेड प्रेस को पूरा कर लेती हैं, लेकिन जब भी वो  ऐसा करती हैं  तो उन्हें  जो शुरुआती डर लगता है, वह उनके माइंड  से नहीं  निकल पाया है। 

इससे परेशान होकर अलीसा ने एक साइकोलॉजिस्ट से मिलने का फैसला किया। डॉक्टर डाना सिंक्लयेर  (Dr. Dana Sinclair ) ने उन्हें इसका कारण  समझाया कि जब तक किसी चीज़ पर उनका पूरा कंट्रोल ना हो तब तक वो उस चीज़ को एक रिस्क के रूप में देखती है। ये माइंडसेट बहुत परेशान करने वाला हो सकता है क्योंकि स्पोर्ट्स हमेशा किसी के कंट्रोल में  नहीं  होता है। कभी ना कभी तो  आप फेल भी हो सकते हैं। 

यही वजह थी कि जब भी ओवरहेड press  की बात आती तो  अलीसा हमेशा एक झिझक महसूस करती थी। वो अभी तक इस पर पूरी तरह से काबू  नहीं  पा सकी थी इसलिए वो जानती थी कि उनके फेल होने का चांस है। 
उन्हें ये बात एक्सेप्ट करना अच्छा  नहीं  लगता पर कईं बार अलीसा ने ईज़ी ऑप्शन चूज किया है  ताकि उन्हें इत्मीनान रहे कि वो उसमें  सक्सेसफुल हो जाएँगी। जैसे कि कईं बार वो ईज़ी वर्कआउट चूज करती थी ताकि वो उसे  फिनिश कर सकें। 

बेशक ये  एक सेफ ऑप्शन था,  लेकिन अलीसा खुद को चैलेंज   नहीं  कर रही थी। वेट उठाना ईज़ी काम  नहीं  है बल्कि इसका मतलब है अपनी लिमिट को  समझना और उसे पुश करके आगे बढ़ना। 

डॉ. डाना  ने अलीसा को  ओवरहेड press  उठाने का स्टेप-बाए-स्टेप रूटीन लिखने के लिए कहा। डॉ. डाना चाहती थी कि अलीसा को अपने नेगेटिव  और परेशान करने वाले थॉट्स पर ध्यान देने के बजाय  अपने एक्शन पर फोकस करना चाहिए। 

अलीसा ने अपने ओवरहेड  प्रेस  के लिए 70 पाउंड के बीयर के ड्रम  को यूज किया था। जब वो अपने घर के जिम में ड्रम को  देखती तो उनके मन में बुरे-बुरे ख़याल आने लगते। आज अलीसा इन थॉट्स के लिए तैयार थी। 

उन्हें  याद आया कि एक थेरपी सेशन में डॉ. डाना ने क्या कहा था कि जब भी हम कोई ऐसा काम करते हैं जिस पर हमारा 100% कंट्रोल नहीं होता है तो हमें डर लगने लगता है। डर हमेशा किसी  प्रोसेस का एक पार्ट रहेगा, इसलिए  बेस्ट यही  कि उसे रोकने के बजाय उसे मैनेज कीजिए। आप जो काम  करने जा रहे हैं उस पर अपना पूरा ध्यान लगाकर, अपने डर को मैनेज कर सकते हैं। 

तो अलीसा ड्रम  के सामने खड़ी हुई और अपना फोन निकाला। उन्होंने हर स्टेप नोट किया जो उन्होंने ड्रम  को अपने सिर पर उठाने के लिए लिया था। फ़िर  उन्होंने ड्रम  को दोनों तरफ से कसकर पकड़ा  और अपनी टांगों को मज़बूती से जमाते हुए उसे  अपने सिर पर उठा लिया। शुरुवात की कुछ कोशिशों में अलीसा थोड़ा झिझकी लेकिन जल्द ही वो आसानी से ड्रम  को उठाने में कामयाब रही। 

एक बार जब  उनकी झिझक दूर हुई तो उनका एक्शन और मज़बूत हो गया। उस दिन उन्हें उस एक्सरसाइज़ को जितनी बार करना था वो उसे आसानी से कर पाई।

अब ये ज़ाहिर सी बात है कि हर दिन एक जैसा  नहीं  होता है। अलीसा भी ये बात मान चुकी थी। कोई दिन अच्छा गुज़रता है तो दिन ऐसा भी होता है जब कुछ खास  नहीं  होता है। जो चीज़ मायने रखती है वो ये कि वो बिना डरे वो काम कर सकें जो उन्हें करना है। 

अलीसा ने उन चीज़ों पर फोकस करके, जिन्हें वो कंट्रोल कर सकती थी, अपने डर पर काबू पाया। वो खुद को नेशनल्स की तैयारी के लिए लगातार पुश करती रही। जब भी उन्हें कोई स्पेशिफ़िक ट्रेनिंग करनी  होती तो वो पहले ही मेंटली  सोच लेती थी कि उन्हें  क्या-क्या करना होगा। इस लॉजिकल अप्रोच ने उन्हें गलत बातें सोचने से बचाया।

 

Be More Human


नेशनल कॉम्पटीशन अब तक का सबसे बड़ा कॉम्पटीशन था जिसे  अलीसा ने अटेंड किया था। तीन दिनों तक उन्हें अपनी ताकत, endurance यानी सहनशक्ति और पावर को इम्प्रूव करने के लिए कईं तरह की category में परफ़ॉर्म करना था।   

वो नर्वस भी थीं और ख़ुश भी। वो दूसरे कॉम्पटीटर्स और उनकी ताकत  को देखकर दंग रह  जाती थी। वो जानती थीं कि उन्होंने भी लंबा सफ़र तय किया है लेकिन वो  इतनी नर्वस थी कि खुद पर प्राउड फील  भी  नहीं  कर पा रही थी। 

फर्स्ट सेग्मेंट में अलीसा फेल हो गई। इसमें  उन्हें अपने सिर से ऊपर सैंडबैग उठाना था लेकिन वो उसे ठीक से पकड़  नहीं  पाई थी। वो बार-बार उनके सिर से फिसल रहा था और इससे पहले कि उन्हें पता चलता, टाइम निकल चुका था। 

तो क्या अलीसा इससे निराश थी? बेशक थी। लेकिन उन्हें गर्व भी  महसूस हो रहा था कि कम से कम उन्होंने कोशिश तो की। उन्होंने ओवरहेड  प्रेस  का डर खुद पर हावी  नहीं  होने दिया। इसके अलावा,   और भी कई  सेग्मेंट थे जिनमें उन्हें participate करना था। अलीसा ने अपने पहले कहाराब  परफॉरमेंस से ख़ुद को निराश नहीं होने दिया क्योंकि इस बारे में ज़्यादा सोचने से उन्हें  खुद पर डाउट होने लगता। 

इसलिए अलीसा ने पूरे कॉम्पटीशन के दौरान डॉ. डाना की सलाह को  फॉलो किया। अगला उन्हें डेडलिफ्ट के सेग्मेंट में हिस्सा लेना था। उनसे पहले जो लोग  इस सेग्मेंट में गए थे वो  फेल हो गए  थे लेकिन अलीसा पूरे फोकस और पक्के इरादे  के साथ तैयार थी। उन्होंने इस बात को मानने से इंकार कर दिया था कि बाकियों की तरफ वो भी फेल हो जाएंगी। 

अलीसा अपने turn का इंतज़ार करते समय ख़ुद को डेडलिफ्र करते हुए visualize करने लगी। वो एक्साईटेड फ़ील करने लगी और उनका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। टाइम गुज़रता गया और अब उनकी बारी थी। अलीसा स्टेज पर चढ़ी और जज और ऑडियंस की तरफ देखा। 

वो शांत थी और मन ही मन उन  स्टेप्स को  दोहरा रही थी जो उन्हें करना था। उन्होंने खुद को अपने सामने रखे बार को उठाने के लिए तैयार किया लेकिन वो जमीन से ऊपर नहीं उठ पाया। टाइम हाथ से निकल रहा था। अलीसा इस सेग्मेंट में  भी फेल हो गई थी। 

जब वो स्टेज से उतर रही थी तो अलीसा ने देखा उनके husband उन्हें देखकर हाथ हिला रहे थे। उन्होंने पूछा क्या वो ठीक हैं। हैरानी की बात ये थी कि अलीसा एकदम ठीक थी। फेलियर  का डंक बहुत चुभता है लेकिन वो ये सोचकर खुश थी कि उनके फेल होने का पूरा चांस था पर फिर भी उन्होंने कोशिश की। 

वो रिस्क लेती हैं, बावजूद इसके कि रिस्क लेना उन्हें  डराता है। अलीसा अब तक फेल होती रही थी लेकिन वो जानती थी वो अपनी पूरी कोशिश कर रही थी। 

अलीसा ने कईं और सेगमेंट में भी हिस्सा  लिया। कुछ में वो फेल हुई तो कुछ में वो जीती भी। वो  फेलियर को अच्छे से हैंडल कर पा रही थीं क्योंकि वो उन्हें अलग नज़रिए से देख रही थीं। अलीसा जिस सेगमेंट में फ़ेल हुई थीं उसमें भी उन्होंने वेट या टाइम के मामले में अपने पुराने रिकॉर्ड को बीट कर दिया था। ये कुछ ऐसा था जिस पर वो अभी भी प्राउड फ़ील कर सकती थी। 

उनका नज़रिया हेल्दी था। अलीसा फर्स्ट पोजिशन या गोल्ड जीतने के लिए मुकाबला   नहीं  कर रही थी। उन्होंने कुछ ऐसा करने के लिए मुकाबला  किया था  जो उन्होंने पहले कभी  नहीं  किया था। उनका  सिर्फ़ एक ही शख्स से कॉम्पटीशन है और वो है अपने पुराने सेल्फ से। 

Conclusion


सबसे पहले,  आपने जाना कि स्ट्रॉंग से स्ट्रॉंग लोगों को  भी लाइफ में कईं बार खुद पर डाउट होने लगता है कि वो स्ट्रॉंग हैं भी या  नहीं। अलीसा  एक्टिव और फिट हैं और एक स्ट्रॉंगमैन कॉम्पटीटर भी हैं,  लेकिन इसके बावजूद उन्हें  खुद पर डाउट था कि वो एक स्ट्रॉंग इंसान हैं भी या  नहीं। 

सेकंड, आपने जाना  कि ताकत  का मतलब  सिर्फ़ ये  नहीं  है कि आप क्या उठा सकते हैं बल्कि ताकत  का मतलब है जब आप दर्द  और स्ट्रगल के बाद भी खुद को पुश करते रहते हैं। 

थर्ड, आपने जाना  कि स्ट्रॉंग बनने का मतलब हड़बड़ी में काम करना  नहीं  है। स्लो प्रोग्रेस आपको ये मौका देता है कि आप अपनी प्रोग्रेस को अप्रीशीऐट कर सकें कि आप कहाँ तक पहुंचे हैं। 

फ़ोर्थ, आपने जाना  कि अगर फेलियर की  बात की जाए  तो अपना नज़रिया  बदलना ज़रूरी है। फेलियर  का मतलब ये  नहीं  है कि आप लूजर हैं बल्कि ये है कि आपमें कोशिश करने की हिम्मत है। 

फिफ्थ, आपने खुद का सामना करने के बारे में सीखा। आप ही अपने सबसे बड़े दुश्मन हो  सकते हैं,  इसलिए ये ज़रूरी है कि आप अपने  नेगेटिव थॉट्स से छुटकारा पाएं। कुछ नया ट्राई करते वक्त बहुत ज़्यादा ना सोचें  बल्कि इस बात पर फोकस करें कि आप उस चीज़ को कैसे अचीव करेंगे। 

और लास्ट में आपने जाना कि हमें थोड़ा सा और इंसान  बनने की कोशिश करनी चाहिए। सबसे बड़ी बात जो आपने सीखी वो ये कि पर्सनल ग्रोथ ही एक इंसान की ताकत  की सबसे बड़ी निशानी है। अपने पुराने version को बीट करने में अपनी पूरी ताकत लगा दीजिए। 

हाँ, award  या गोल्ड मिलने से जो ख़ुशी होती है उसे बयान नहीं किया जा सकता. हाँ,  टॉप पर होने के एहसास  का कोई मुकाबला  नहीं  है। फर्स्ट पोजिशन के पीछे भागना हमेशा मज़ेदार होता है,  लेकिन आपको किसी भी काम को इस नज़रिए से शुरू करना होगा कि  “क्या इसके बाद मैं एक बेहतर इंसान बन जाउँगा?” जब आप ऐसा करने लगेंगे तो आपका जीवन बेहतर से बेहतर होता जाएगा.

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