Bechne Ka Sabse Alag Tareeka Book

Bechne Ka Sabse Alag Tareeka

How to Sell Without Selling (Hindi)
आपके बिज़नेस को एक नया और अनोखा दृष्टिकोण देने वाली बुक।

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THE SOCIAL ANIMAL IN HINDI

 


THE SOCIAL ANIMAL

David Brooks

इंट्रोडक्शन 

अगर आप बहुत इंटेलिजेंट हैं तो भी कोई बड़ी बात नहीं  है क्योंकि तब भी आप लाइफ और बिजनेस में fail हो सकते हैं। 
लेकिन ऐसा क्यों?

ऐसा इसलिए क्योंकि इंसान का  सिर्फ़ स्मार्ट होना  काफ़ी नहीं है। आपको  खुशहाल और सक्सेसफुल लाइफ जीने के लिए नॉन-cognitive स्किल्स की ज़रूरत पड़ेगी।

हमारे character की कुछ खास बातें भी उतना ही मायने रखती हैं जैसे कि ईमानदारी, किसी काम में डटे रहना, डिसप्लिन में रहना और ईमोशनल इंटेलिजेंस। 

हमें सक्सेस की डेफिनेशन को बदलने की ज़रुरत है। ये समरी  आपको याद दिलाएगी  कि लाइफ का आखिर असली मतलब क्या है। ये आपको अपने अंदर की qualities को इम्प्रूव करना सिखाएगी ताकि आप लोगों से बेहतर कनेक्शन बना सकें, एक inspiring लीडर बन सकें और लोगों की ज़िंदगी बदल सकें.

जब आप अपनी इनर qualities पर  फोकस करने लगेंगे तो आप अपनी लाइफ में और भी  ज़्यादा खुशी और संतुष्टि  महसूस करेंगे।  

हम सोशल एनिमल्स हैं। हम बस अपनी पर्सनल इच्छाओं  पर फोकस करके  अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते। हमें दूसरों के साथ की भी ज़रुरत होती है। दूसरों की हेल्प और केयर करने के साथ ही  हमारे लिए अपनी इनर ग्रोथ को डेवलप करना भी ज़रूरी है। 

इस समरी  को एक मौका दें कि ये आपको अपनी प्रायोरिटीज़ को चेंज करने और आपकी  लाइफ को दूसरे लेवल तक ले जाने  में मदद कर सके। 

Decision Making


लोग अलग-अलग क्लास से आते हैं। इसमें, composure   क्लास में वो लोग आते हैं जिन्होंने धीरे-धीरे सक्सेस अचीव किया है। वो बड़ा रिस्क उठाकर या रातों-रात अपनी लाइफ बदलकर अमीर नहीं बने  हैं बल्कि composure  क्लास अपनी एजुकेशन को सबसे  ज़्यादा प्रायोरिटी देते हैं और कड़ी मेहनत करके strong सोशल नेटवर्क बनाते हैं। वो अपनी मेहनत से अपनी उम्मीद के मुताबिक सक्सेस हासिल करते हैं। इस ग्रुप में ज़्यादातर वकील, डॉक्टर और कॉर्पोरेट  लीडर्स आते हैं। 

ये लोग दूसरों से अलग होते हैं क्योंकि ये हमेशा शांत और कॉन्फिडेंट रहते हैं। ये  दिखावा नहीं करते बल्कि  इनकी सक्सेस खुद बोलती है। ये हमेशा प्रोफेशनल तरीके से ड्रेस करते हैं और वैसा ही बिहेव भी करते हैं। 

Composure  क्लास के लोगों  को देखकर लगता है जैसे इन्हें बिना मेहनत के सक्सेस मिल गई  हो। ये एक समझदार और जिम्मेदार नागरिक के तौर पर अपनी पहचान बनाने के लिए ग्लोबल मुद्दों  और इंपोर्टेंट इवेंट्स अटेंड करते हैं। 

ये ग्रुप ऐसे रूल्स फॉलो करते हैं जो कहीं  लिखे हुए  नहीं  हैं। composure  क्लास एजुकेशन, कल्चर और पर्सनल अचीवमेंट के  पावर  में विश्वास करते हैं जिस वजह से ये एक सक्सेसफुल करियर और influential  रिलेशनशिप्स बना पाते हैं। 

Composure  क्लास को ऐशो-आराम पसंद होता है लेकिन वो सोच-समझकर पैसे खर्च करते हैं। ये लोग हाई quality के ट्रेडिशनल और खूबसूरती को बढ़ाने वाली चीज़े खरीदते हैं लेकिन ऐसा वो अपनी सक्सेस  का शो ऑफ करने के लिए नहीं करते. ये  अपनी प्रोफ़ेशनल इमेज प्रेजेंट करना पसंद करते हैं, लेकिन इसके बावजूद ये लोग  काफ़ी हंबल यानी विनम्र होते हैं।  

जहां एक ओर composure क्लास लोगों के पास स्विमिंग पूल और  बड़ी पार्किंग वाला बंगला हो सकता है तो वहीँ  दूसरी तरफ ये भी मुमकिन है कि उनका फर्नीचर पुराना और सस्ता हो. वो दिखावे के लिए फिजूल खर्ची के बजाय  काम चलाऊ चीज़ो के साथ गुज़ारा करना पसंद करते हैं। 

अगर आपको  इस क्लास के किसी  इंसान के साथ ट्रैवल करने का मौका मिलता  है तो वो आपको अपने प्राइवेट जेट में  चलने के लिए इनवाइट कर सकते हैं. आप ये भी नोटिस करेंगे कि वो नॉर्मल tote  बैग यूज़ करते हैं और नॉन डिजाइनर कपड़े पहनते हैं. वो सिर्फ़  उन चीजों में इंवेस्ट  करना प्रेफर करते हैं जो वैल्युएबल हों  और लम्बे समय तक चल सकती हों.

इन सब चीज़ों के बावजूद, composure क्लास के लोगों की लाइफ हमेशा ख़ुशहाल और smooth नहीं होती है। सबसे पहली बात की वो खुद को प्रेजेंट करने के चक्कर में हमेशा प्रेशर में रहते हैं, जिसके चलते उन्हें  ये महसूस होता है कि उनकी लाइफ किसी के कंट्रोल में है और कितनी  मुश्किल है.

दूसरी बात, वो  सच्चे और गहरे रिश्ते बनाने के बजाय  अपने सोशल स्टेटस को मेंटेन करने के लिए रिलेशनशिप बनाते हैं। 

तीसरा, उनका हर फैसला इस बात से influenced  रहता है कि लोग उसके बारे में  क्या सोचेंगे,  जिसके कारण उन्हें ऐसी लाइफ जीनी पड़ती है जो रियल  नहीं बल्कि किसी एक्टिंग की तरह लगती है।
 

आप मीलों दूर से भी एक composure  क्लास इंसान को पहचान सकते हैं। ऐसे लोगों की बॉडी बिल्कुल फिट होगी और वो शांत और सक्सेसफुल  होते हैं। वो  कईं तरह की ग्लोबल एक्टिविटीज में इनवॉल्व रहते हैं जैसे कि चाइना की  ट्रिप और कॉर्पोरेट बोर्ड मीटिंग वगैरह।
 

अगर ये इंसान कभी आपको अपने प्राइवेट जेट  में ले जाए तो आप देखकर हैरान हो जाएंगे कि वो कितना सिंपल है। हो सकता है कि वो अपने आलीशान घर में आपको बुलाकर एक सिम्पल सैंडविच से आपका स्वागत करे। वो  अपने influential  दोस्तों के बारे में बात करके आपको अपने  सबसे इंस्पायरिंग लेसन के बारे में बता सकते हैं या आपको अपने साथ गोल्फ खेलने के लिए इनवाइट कर वहाँ अपने बिलियन डॉलर इन्वेस्टमेंट के बारे में भी डिस्कस कर सकते हैं।
 
इस क्लास के लोग अमीर होते हैं लेकिन फिजूलखर्ची नहीं होते। वो उस हर डॉलर की वैल्यू करते हैं जिसे वो खर्च करते हैं। वो अपनी सक्सेस का दिखावा करने की कोशिश नहीं करते क्योंकि वो इस बात में यकीन रखते हैं कि सक्सेस खुद ब खुद नज़र आ जाती  है। वो कॉंफिडेंट होते हैं और लक्ज़री और ट्रेडिशन को दिखाने वाली चीज़ें पसंद होती हैं।

 
Composure  क्लास और उनके लाइफ जीने का तरीका अपीलिंग लग  सकता है, लेकिन कभी-कभी वो ये भूल जाते हैं कि उनके लिए सच में  क्या  ज़्यादा मायने रखता  है. वो सोशल डिस्प्ले करने के लिए  सच्चाई और रियल कनेक्शन को  सैक्रिफाइस कर देते हैं. सच्ची ख़ुशी, सच्चा जीवन जीने से मिलती है नाकि सोसाईटी की उम्मीदों के हिसाब से ढलने की कोशिश करने से। हमें अपनी सक्सेस और स्टेट्स ही नहीं बल्कि उस चीज़  पर फोकस करना चाहिए जो हमें ख़ुशी देती है।
 

अगर आप composure क्लास से हैं या उस क्लास का मेंबर बनने  का सपना देखते हैं तो इसके नेगेटिव इफेक्ट्स से सावधान रहें। याद रखें कि आप डीप ह्यूमन कनेक्शन बनाते हुए भी अमीर और सक्सेसफुल हो सकते हैं। 


Mindsight


बच्चे आपकी लाइफ को ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी तरह से बदलकर रख देते हैं। जब एक औरत माँ बनती है तब उसकी नई जिम्मेदारियों  के चलते उसका डेली रूटीन ही  नहीं बदलता बल्कि उसका सब कुछ जैसे कि उसकी प्रायोरिटी, वो कौन है और उसकी फीलिंग्स, सब कुछ बदल जाता है। 

शुरुआत में, आपको  माँ बनने की जिम्मेदारी बहुत भारी लग सकती है क्योंकि  अचानक से आपके कंधों पर एक एक नन्ही सी जान  की जिम्मेदारी आ जाती है जो पूरी तरह से आप पर डिपेंडेंट होता है। माँ  उसे दूध पिलाती है,  उसे साफ-सुथरा रखती  है,  उसे सिखाती है, उसे  प्यार करती हैं,  उसके साथ खेलती हैं और अपने बच्चे की रक्षा  भी करती है। 

कुछ दिनों तक अपने बच्चे  की देखभाल करने के बाद आपको एहसास  होता है कि  आपकी लाइफ अब  पहले जैसी  नहीं  रही है। आपकी प्रायोरिटी बदल चुकी है। अब आप  अपने फ्रेंड्स के साथ बाहर  नहीं जा  सकती हैं और  ना ही अपने करियर ग्रोथ पर फोकस कर सकती हैं। अगर आप ऐसा  करती भी हैं  तो भी आपके बच्चे की देखभाल करने के बाद ही सब कुछ आता है।  

लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप अपने  पैशन को अलविदा कह दें बल्कि ये सोचें  कि आपको वो  नई खुशी मिली है जो आपकी दुनिया को खेल और खुशी के ठहाकों से भर रही है।  

ये बदलाव बच्चे के जन्म से पहले ही  शुरू हो जाते हैं. प्रेगनेंसी हमारी लाइफ में फिजिकल और इमोशनल चेंज़ेस लेकर आती  है जो आपको आने वाली लाइफ के लिए तैयार करती है। आपके बच्चे  के साथ आपका कनेक्शन उनके आपके गर्भ  में पहली मूवमेंट के साथ  ही शुरू हो जाता है। 

फिर कुछ हफ्तों में बच्चा  धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है  और आपकी आवाज़ पहचानने लगता है। वो जब इस दुनिया में आ जाता है  तो सबसे ज़्यादा अपनी मां के साथ जुड़ाव महसूस करता है। वो अपनी मां का चेहरा पहली बार देखता है, पहली बार उनके टच को महसूस करता है  और उनके फेशियल एक्सप्रेशन को याद कर लेता है। ये सब बस  क्यूट मोमेंट्स नहीं हैं  बल्कि जीवन भर  चलने वाले एक रिश्ते की नींव है।
 

पेरेंट्स और बच्चे  के बीच का bond  बहुत स्पेशल होता है। आप  सिर्फ़ अपने बच्चे  की फिजिकल ज़रूरतों  का ध्यान नहीं  रखते हैं बल्कि उनके साथ अपनी लाइफ को  शेयर करके कभी ना टूटने वाला रिश्ता जोड़ लेते  हैं। जब आपका बच्चा आपको देखकर मुसकुराता है तो ये एक ईशारा है कि वो आप पर भरोसा  करता है और उसे  प्यार और सेफ़ होने का एहसास  होता है।  डेली लाइफ में होने वाले  ये छोटे-छोटे इंटरेक्शन आपके बच्चे के साथ आपका गहरा   इमोशनल कनेक्शन बनाने का  काम करते हैं। 

आइए जूलिया का example देखते हैं जो आपको इंस्पायर करेगी। अपने बेटे Harold के पैदा होने से पहले जूलिया  हमेशा प्रेजेंट मोमेंट में जीने में यकीन रखती थी। उसे बाहर जाना और मौज-मस्ती करना अच्छा लगता था। वो फ़्यूचर की टेंशन  नहीं  लेती थी। उसकी यही quality  उसकी पहचान थी और  वो कभी खुद को बदलना  नहीं  चाहती थी और ना ही उसने सोचा था कि वो कभी बदल सकती थी। 

लेकिन फिर उसका बेटा Harold उसकी लाइफ में आया और  चीज़े  बदलना शुरू हो गई. जूलिया रातों-रात चेंज नहीं हुई थी बल्कि  उसने धीरे-धीरे  नोटिस करना शुरू किया कि अब उसकी प्रायोरिटी बदल गई है। 

अब लापरवाह और बेपरवाह होने के बजाय  उसने अपने बेटे के साथ गहरा प्यार भरा कनेक्शन जोड़ा।
 

बेशक ये बदलाव आसान नहीं था. कभी-कभी जूलिया अपनी  पहली वाली   लाइफ को मिस करती थी, लेकिन उसका बेटा हमेशा उसे  ये दिखाता रहता था कि लाइफ जीने के और भी कई तरीके  हैं। ये नया तरीका  पहले वाले से  ज़्यादा संतुष्टि  और ख़ुशी से भरा हुआ था। 

शुरू से ही, harold का जूलिया पर गहरा असर पड़ा था। वो जितना अपने बेटे के साथ वक्त गुजारती उतना ही  ज़्यादा उसे ये एहसास होता कि एक माँ होना कितनी बड़ी जिम्मेदारी का काम है। Harold की आंखों में देखते हुए जूलिया को बहुत  ही गहरा  और पावरफुल प्यार का एहसास होता था जिसके आगे उसे अपनी  पुरानी ज़िंदगी फीकी लगने लगती थी। अपने बेटे के लिए उसका प्यार उसकी पहली प्रायोरिटी थी। 

जैसे-जैसे वक्त गुज़रता गया जूलिया ने छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूँढ़नी शुरू कर दी जैसे उसके बेटे की मुस्कुराहट, उसकी हंसी और जब वो कमरे में आती तो वो कैसे एक्साईटेड होकर उछल पड़ता था। इन पलों  ने उसे बदल दिया था। वक्त के साथ उसकी पहचान बदल गई और वो एक बेपरवाह लड़की  से एक जिम्मेदार माँ बन गई। उसने अपनी लाइफ में उस संतुष्टि  का एहसास किया जो आज से पहले उसे कभी  नहीं  हुआ था। 

पेरेंट बनने  का मतलब  सिर्फ़ बच्चे को पाल-पोसकर बढ़ा करना या उसे एजुकेशन देना  नहीं  है बल्कि पेरेंट बनना  हमें बहुत कुछ सीखने, बदलने और ग्रो करने का मौका देता है। हालांकि ये बदलाव उतना भी ईज़ी  नहीं  है। इसमें  आपको चैलेंज का सामना करना पड़ता पर ये चैलेंजेस आपको ग्रो करने  और नए पैशन और प्रायोरिटी को ढूंढने के लिए पुश करते हैं। 

अगर आप बच्चा प्लान कर रहे हैं तो अपनी करंट लाइफ छोड़ने के लिए तैयार हो जाइए। आप अपने अंदर एक नई ज़िंदगी को महसूस कर पाएंगे और आपको रोज़ की मामूली बातों में भी खुशी का एहसास होगा। पेरेंट्स पूरी तरह से संतुष्ट  होते हैं इसलिए टेंशन मत लीजिए। पेरेंट बनना एक ऐसी चॉइस है जिसका आपको कभी पछतावा   नहीं  होगा।  

 

Attachment 


बच्चों की ग्रोथ को शेप देने में पेरेंट्स के व्यवहार  का बहुत बड़ा हाथ होता है। आपके बच्चों का साथ आपका जैसा रिलेशनशिप होता  है वो ये  डिसाइड करता है  कि बच्चा  अपने आपको कैसे देखेगा। ये चीज़ उन्हें  ये भी सिखाती है  कि इस दुनिया को कैसे explore करना है  और लोगों के साथ कैसे कनेक्शन बनाना है। इसलिए पेरेंट्स को चाहिए कि वो बाउंड्री बनाने और इमोशनल सपोर्ट देने के बीच बैलेंस सेट करें। 

बच्चों की ग्रोथ में सबसे इम्पोर्टेन्ट कॉन्सेप्ट  है ‘सिक्योर अटैचमेंट’। ये बच्चे  और पेरेंट्स या उसके गाडियन के बीच एक सेफ और स्टेबल रिलेशनशिप बनाता है। 

जब एक बच्चा अपने आप को सिक्योरिली अटैच्ड फ़ील करता है  तो उसे यकीन हो जाता है  कि उसकी इमोशनल और फिजिकल ज़रूरतों  को पूरा करने के लिए कोई  हमेशा मौजूद होगा। उसमें ये  कॉन्फिडेंस होगा कि अगर कुछ गलत हुआ तो उसके वापस लौटने के लिए एक सेफ़ जगह है  और यही चीज़ बच्चे को दुनिया एक्सप्लोर करने के लिए पुश करती है। 

सिक्योर अटैचमेंट का मतलब  सिर्फ़ बच्चे  की फिजिकल ज़रूरतों को पूरा करना नहीं होता है बल्कि आपको उसकी  इमोशनल ज़रूरतों  की तरफ पर respond करना सीखना होगा।
 

सिक्योर अटैचमेंट का बच्चे की पूरी personality पर गहरा असर पड़ता है. जो बच्चे इस bond  के साथ बड़े होते हैं वो औरों से  ज़्यादा कॉन्फिडेंट होते हैं, उनके अंदर अच्छी सोशल स्किल्स होती है और वो स्ट्रेस को ज़्यादा अच्छे से हैंडल कर पाते  हैं। वो दूसरों पर विश्वास करना सीखकर  हेल्दी रिलेशनशिप बनाते हैं क्योंकि उन्हें  अपने पेरेंट्स से हमेशा केयर और सपोर्ट  मिला होता है।
 

इसलिए पेरेंट्स को डिसिप्लिन और सपोर्ट के बीच बैलेंस बनाकर रखना चाहिए।
 

पेरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चों की लाइफ को एक स्ट्रक्चर देने के लिए उन्हें रूटीन सेट करके बाउंड्री में रहना सिखाएं। उन्हें अपने बच्चों को हमदर्दी सिखाने और उन्हें  कॉन्फिडेंट और सेफ़ फील कराने के लिए इमोशनली  सपोर्ट करना  चाहिए। 

पेरेंट्स के लिए सबसे challenging काम होता है डिसिप्लिन और इमोशनल सपोर्ट के बीच सही बैलेंस बनाना सीखना. बच्चे को सही बिहेवियर और बाउंड्री में रहना सिखाने के लिए डिसिप्लिन का होना बहुत ज़रूरी है, लेकिन इसे इस तरह किया जाना चाहिए जिससे बच्चे की सेफ़ होने की फीलिंग को नुक्सान ना पहुंचे.  

जब  पेरेंट्स बहुत स्ट्रिक्ट होते हैं तो वो बच्चों के साथ ऐसे बिहेव करते हैं जिससे बच्चे उनसे डरने लगते हैं और गुस्सा भी करने लगते हैं। लेकिन अगर डिसिप्लिन में कमी होगी तो बच्चे लापरवाह बन जाएंगे। इसलिए पेरेंट्स होने के नाते  बाउंड्रीज ज़रूर सेट कीजिए मगर साथ ही बच्चों के साथ प्यार से पेश आइए। स्ट्रिक्ट होने का मतलब ये नहीं होता कि आप  बच्चों को अब्यूज़ करने या उनके साथ बुरा बर्ताव करने लगें। 

उनके साथ सब्र और प्यार से पेश आएं और इफेक्टिवली कम्यूनिकेट करें। जब  आप सब्र रखेंगे तो अपने बच्चे के नखरे को शांति से  सुलझा पाएंगे। जब आप उनसे हमदर्दी  से पेश आते हैं तो  आप दुनिया को उनके नजरिए से देख पाते हैं  और बिना किसी झगडे या विरोध के  उनकी ज़रूरत को पूरा कर पाते हैं। 

इफेक्टिव कम्युनिकेशन के कारण आपका बच्चा ये बात समझ पाता   है कि उसे डिसिप्लिन  में क्यों रखा जा रहा है और  साथ ही वो ये भी महसूस करता है  की इस प्रोसेस में उसकी बात को भी  सुना जा रहा है। ये qualities अपने आप  नहीं  आ जाती  हैं। इसके लिए प्रैक्टिस और एफर्ट  की  ज़रुरत पड़ती है। बच्चों के साथ सिक्योर अटैचमेंट बनाना बहुत  ज़रूरी है क्योंकि ये  आपके  बच्चा के overall personality डेवलपमेंट में बहुत इम्पोर्टेन्ट रोल निभाता है। 

Example  के लिए,  ज्यादातार पेरेंट्स  की तरह जूलिया   और उसके बेटे  Harold को होमवर्क करते वक्त  बहुत  मुश्किल होती  थी।  Harold को होमवर्क करना बहुत मुश्किल और  फ्रस्ट्रेटिंग लगता था। इस बात को समझते हुए,  जूलिया भी  स्ट्रिक्ट होने के बजाय  उसके साथ प्यार और सब्र से पेश आती थी। 

जब भी उसका बेटा होमवर्क करने से मना करता तब जूलिया उसे एक  पर्सनल और इंटरेस्टिंग स्टोरी सुनाकर मना लेती। उसका स्टोरी सुनाना बच्चे को बड़े प्यार से एक इफेक्टिव मैसेज देता था  और ये चीज़ मां और बच्चे के रिलेशनशिप को और गहरा भी करता है। 

जब भी जूलिया  अपने बेटे को कोई स्टोरी सुनाती तो उसका फोकस और बढ़ जाता और वो होमवर्क करने के लिए मोटीवेट हो जाता। जब आपका बच्चा ये समझ जाता है कि आप उसके लिए रूल इसलिए बना रहे हैं क्योंकि आप उसे प्यार करते हैं और उसकी परवाह  करते हैं तो वो भी आपकी हर बात मानने के लिए तैयार हो जाता है।
 

अगर जूलिया गुस्से में अपने बेटे को जबरदस्ती होमवर्क करने के लिए मजबूर  करती तो वो शायद मना करता रहता और फिर ऐसा होता कि फ़्यूचर में उसे होमवर्क करने  से ही नफरत हो जाती।
 

आप जूलिया से सीख सकते हैं कि कैसे अपने बच्चों के साथ रूल्स सेट करने के लिए कनेक्शन बनाना चाहिए। काइंडनेस और गाइडेंस दोनों को मिलाकर अपने बच्चे  को एक कॉन्फिडेंट, इमोशनली हेल्दी और strong  इंसान के तौर पर बड़ा  होने में मदद कीजिए।
 

अगर आप एक केयरटेकर या पेरेंट  हैं तो अपने बच्चे  के साथ डेली इंटरेक्शन में इन प्रिंसिपल्स को अप्लाई कीजिए। उनकी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कीजिए, उन्हें डिसिप्लिन में रहना सिखाइए और  सबसे ज़रूरी बात ये है कि उन्हें  अपना अनकंडीशनल प्यार  और सपोर्ट दीजिए। 


Learning


हाई स्कूल में आपका सोशल स्टेट्स ये डिफाइन कर सकता है कि आप कौन हैं और आगे चलकर क्या बनेंगे। आप फेमस भी हो सकते हैं या फिर लूजर भी बन सकते हैं। 

टीनएजर्स को  नहीं  पता होता कि वो कौन हैं. वो अभी भी अपनी आइडेंटिटी तलाश कर रहे होते हैं। ऐसे में उन्हें गाइडेंस की सख्त  ज़रुरत होती है. टीचर्स और mentors हाई स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स को नए पैशन ढूँढने में, खुद को चैलेंज करने में और  एक सक्सेसफुल फ़्यूचर के सपने देखने  में मदद कर सकते हैं.

हाई स्कूल ग्रुप ज़्वाईन करना टीनएजर्स को बहुत ज़रूरी काम लगता है। ये ग्रुप अलग-अलग सीचुएशन की वजह से बनते हैं। 1954 में, मुजफ्फर शेरिफ ने ओक्लाहोमा के रॉबर्स केव स्टेट पार्क में 11 साल के कुछ लड़कों को चुना और उन्हें दो ग्रुप में डिवाइड किया -  rattlers और eagles. 

दोनों ग्रुप को एक हफ्ते तक अलग-अलग रखा गया. उसके बाद दोनों ग्रुप्स ने अलग-अलग इवेंट में एक-दूसरे के साथ  कॉम्पटीशन करना स्टार्ट कर दिया। कॉम्पटीशन के कारण ये लड़के आपस में लड़ने लगे. rattlers ने  बेसबॉल फील्ड में अपना झण्डा गाड़ दिया तो बदले में eagles ने उस झंडे को फाड़कर और जलाकर अपना गुस्सा ज़ाहिर  किया।  बस, छोटी सी बात का बतंगड़ बन गया। लड़के एक-दूसरे को हराने के लिए  हथियार  बनाकर लड़ने के लिए तैयार हो गए और एक-दूसरे के सामान भी  चोरी करने लगे। 

इस एक्सपेरिमेंट से एक बात साबित हो गई कि ग्रुप आसानी से बन जाते हैं। कैंपस में एक ही हफ्ते के अंदर ग्रुप्स के बीच बान्डिंग हो जाती है। यहां तक कि वो आपस में एक दूसरे को प्रोटेक्ट भी करते हैं. इस एक्सपेरिमेंट से ये भी साबित हुआ कि ग्रुप्स की वजह से ही आगे चलकर लड़ाई-झगड़े भी होते हैं। 

हाई स्कूल में भी सोशल ग्रुप्स ओवर प्रोटेक्टिव या डिफेंसिव  हो सकते हैं. अगर आप किसी  ग्रुप के एक मेम्बर को तकलीफ पहुंचाते हैं  तो उस ग्रुप के बाकी मेंबर्स  का गुस्सा आप पर फूट पड़ता है। अगर सही  गाईडेंस मिले  तो स्टूडेंट्स पॉपुलैरिटी  और सोशल सक्सेस के परे जाकर भी   एक नई दुनिया को  एक्सप्लोर कर सकते हैं। 

अब जैसे कि Harold  के स्कूल के कैफे में सोशल डिफरेंस का होना  साफ़ नज़र आता है। यहाँ हर ग्रुप अपने हिसाब से बैठता था और टेबल को भी इन सोशल ग्रुप्स के हिसाब से ही रखा जाता था।
 

जैसे, पॉपुलर बच्चे हमेशा बीच में रखे  टेबल पर  बैठते हैं ताकि बाकि बच्चे ये देख सकें कि वो कितने कूल हैं। बाकी के ग्रुप्स  को अलग-अलग कोने  में बैठाया जाता था.

ये अरेंजमेंट सिर्फ़ सीट पर बैठने के बारे में नहीं था बल्कि ये दिखाता था कि स्टूडेंट्स अपनी coolness के कारण जाने जाते हैं और मानते हैं कि सबसे पॉपुलर स्टूडेंट के पास ही सबसे ज़्यादा पावर होता है। 

Harold को सब लोग जानते और पसंद करते थे। वो एथलेटिक और पॉपुलर था। हर कोई उसे  मेयर बुलाता  था क्योंकि वो आसानी से  हर ग्रुप में घुल-मिल जाता था। वो Jocks के साथ हंसी-मज़ाक भी करता था तो Honor ग्रुप के साथ सीरियस बातों पर डिस्कशन भी। यानि वो हर जगह फिट हो जाता था। 

हालांकि Harold  की पॉपुलैरिटी और कम्युनिकेशन स्किल्स उसके ग्रेड को इंप्रूव नहीं कर पा रहे थे। उसे पढ़ाई करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ती  थी, जिससे ये साबित होता है कि पॉपुलैरिटी से  अच्छे स्कूल क्रेडिट मिलने की गारंटी  नहीं मिलती है। 

Harold में एक कमाल की एबिलिटी थी कि वो लोगों को बहुत अच्छे से समझ पाता था। वो बहुत  जल्दी लीडर्स, funny लोगों और डरे हुए  स्टूडेंट्स को पहचान लेता था। सोशल सिचुएशन को समझ पाने के इस हुनर के कारण ही वो  पॉपुलर हो गया था,  लेकिन क्लासरूम में उसका ये हुनर उसकी मदद नहीं कर पाया था। 

Harold को अपनी कमियों के बारे में पता था। वो अपनी एकेडमिक स्किल के बारे में  ज़्यादा कॉन्फिडेंट नहीं था और महसूस करता था जैसे वो स्कूल का हिस्सा था ही नहीं। उसे कभी भी अच्छे ग्रेड नहीं मिले और डॉक्टर बनना कभी उसके लिए एक ऑप्शन नहीं था।
 

सोशल और एकेडमिक सक्सेस के बीच फ़र्क है. पॉपुलर होने का मतलब है अच्छे रिलेशन बनाने के लिए सही स्किल का होना।  जब आपको ये समझ आ जाता है कि लोग किस तरह सोचते और बिहेव  करते हैं तो  आप किसी के साथ भी घुल-मिल  सकते हैं।
 

दूसरी तरफ, एकेडमिक सक्सेस के लिए आपमें  दूसरी टाइप की स्किल्स होनी चाहिए। अच्छे टीचर आपके academic स्किल को इम्प्रूव करने में आपकी मदद कर सकते हैं.  example  के लिए,  Harold की इंग्लिश टीचर मिस टेलर  थी। वो उस पर भरोसा करती थी और उसे नए-नए आइडियाज़ को  एक्सप्लोर करने के लिए एनकरेज़ भी करती थी।
  

मिस टेलर  को Harold में बहुत  पोटेंशियल नज़र आता था इसलिए उन्होंने उसे क्लासिकल ग्रीक लिटरेचर से इन्ट्रोड्यूस कराया। इन बुक्स को पढ़कर Harold को लाइफ के अलग-अलग एरिया को देखने का  नया नज़रिया मिला। 

Harold ने हिम्मत और ईज्जत के बारे में पढ़ा। उसने एम्बिशन की इंपॉर्टेंस के बारे में भी जाना और उसे समझ आया  कि  सिर्फ़ पॉपुलर होना  काफ़ी नहीं है बल्कि सक्सेस के लिए उसे लाइफ में बड़े गोल्स अचीव करने होंगे। इसलिए Harold ने अपने ग्रेडस को इंप्रूव करने पर ध्यान देना शुरू किया। 

Harold ने जो  सबसे इम्पोर्टेन्ट लेसन  सीखा था, वो था  दूसरों की परवाह  करना। वो समझ गया था कि लाइफ का असली मतलब इस दुनिया पर अपना इम्पैक्ट डालना है। वो  सिर्फ़ बच्चों के साथ इस दुनिया में एंजॉय करने के लिए पैदा  नहीं  हुआ है. 

Harold धीरे-धीरे ग्रो कर रहा था। अब वो पहले से  ज़्यादा सेल्फ-अवेयर हो गया था। उसने अपनी ताकत और कमज़ोरियों को समझा और अपने एक्शन की पावर के बारे में जाना। Harold समझ चुका था कि अगर वो ख़ुद  को ग्रो करने में सफल हो जाता है तो वो दूसरों को भी ग्रो करने में हेल्प कर सकता है।
 

इसका  नतीजा ये हुआ कि उसने इस  बात को  एक्सेप्ट कर लिया  कि वो पॉपुलर तो था लेकिन पढ़ने में अच्छा नहीं था। Harold को को अपनी कमजोरियों की सच्चाई का सामना करना पड़ा।  ये मानने के बजाय कि कोई उसे हरा नहीं सकता, उसने ये एक्सेप्ट किया  कि कैफे के बेंच पर बैठकर कोई खुद को प्रूव  नहीं  कर सकता बल्कि उसे इस दुनिया में अपनी एक पहचान बनाकर अपनी काबिलियत साबित करनी होगी. अब उसका फोकस  सिर्फ़ इसी चीज़ पर होना चाहिए।
 

इसलिए अगर आप पॉपुलर हैं  तो आपको गर्व  होने लगेगा कि आप पावरफुल  हैं,  लेकिन क्या आपकी पॉपुलैरिटी  ये डिफाइन करती है  कि आप कौन हैं?  नहीं,  नहीं करती क्योंकि आपको संतुष्टि पाने के लिए   कुछ ऐसा करना होगा जो मीनिंगफुल हो।
 

अपनी कमजोरियों को पहचानकर  अपने mentors  से मदद मांगना  ज़रूरी है। अच्छे टीचर्स आपकी असली पहचान और मकसद को ढूँढने में आपकी मदद कर सकते हैं। आपको अपने सोशल और एकेडमिक गोल्स  के बीच  बैलेंस बनाकर चलना होगा। 

हालांकि इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप एंजॉय  नहीं  कर सकते। अपनी पॉपुलैरिटी को इंजॉय कीजिए  लेकिन जो प्लान बनाना,  सीखना और ग्रो करना कभी भूलिए मत। 

 

Self-Control


अपने गोल्स अचीव करना पूरी तरह से आपकी हैबिट्स पर डिपेंड करता  है। अगर आप अच्छी हैबिट्स डेवलप करने में सक्सेसफूल हो गए तो आप और ज़्यादा प्रोडक्टिव,  डिसिप्लिन्ड और इमोशनली इंटेलिजेंट बन सकते हैं। अगर कभी आप खुद को मोटिवेटेड फ़ील ना करें तो भी सेल्फ-डिसिप्लिन की वजह से आप वो काम कर पाएँगे  जो अभी आपके लिए करना  ज़रूरी है। इमोशनल इंटेलिजेंस आपको अपनी फीलिंग्स  को कंट्रोल करके  अपने लॉन्ग टर्म प्लान पर फोकस करने में मदद करेगा। 

आखिरी बार कब हुआ था जब आपकी फीलिंग्स पर आपका कंट्रोल  नहीं  रहा था? शायद तब जब आप किसी और की वजह से या किसी चीज़ की वजह से नाराज और फ्रस्ट्रेटेड हो गए थे। जब हम किसी मुश्किल सिचुएशन का सामना  करते हैं तो  अपनी भावनाओं में बह जाते हैं और फिर हमारे मुंह से कुछ ऐसा निकल जाता है या हम कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिसके लिए हम बाद में  पछताने लगते हैं। 

अगर आप अपने इमोशंस को ठीक से मैनेज करेंगे  तो आप कदम पीछे खींच सकते हैं,  उसके बाद गहरी सांस लेते हुए अपने वैल्यूज़ के हिसाब से सोच-समझकर रियेक्ट  कर सकते हैं। अगर उस वक्त आपने अपने गुस्से को खुद पर हावी होने दिया तो आप ना  सिर्फ़ खुद को बल्कि अपने दोस्तों को भी खो बैठेंगे और लाइफ के हर एरिया में फेल हो जाएंगे।
 

सेल्फ-डिसिप्लिन का मतलब है बिना थके, बिना बोर हुए डेली इसे फॉलो करना। 
डिसिप्लिन में रहने के लिए आपको फोकस्ड रहना होगा और किसी भी तरह के चैलेंज  का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना होगा। अपने गोल्स तक पहुँचने के लिए कुछ भी करना पड़े तो कीजिए। जब आप अपनी प्रायोरिटी पर फोकस्ड रहेंगे तो आपके रास्ते की हर रूकावट दूर हो जाएगी।
 

सेल्फ डिसिप्लिन का मतलब ये है कि आपको परफेक्ट बनना है। अपने गोल्स तक पहुंचने के लिए  सिर्फ़ सही  डिसिजन लेने की  ज़रुरत है।
 

एक स्ट्रक्चर्ड एनवायरमेंट आपकी लाइफ में डिसिप्लिन ला सकता है। क्लियर रूल और रूटीन आपको टाइम को मैनेज करने, अपनी प्रायोरिटी सेट करने  और अपने स्ट्रेस को हैंडल करने में मदद करता है. आपके आसपास के एनवायरमेंट को आपमें  नई हैबिट्स डेवलप करने में आपकी मदद करनी चाहिए जब तक वो  आपकी  लाइफ का natural   पार्ट नहीं  बन जाता है।

आइए इसे Erica के example से समझते हैं। वो एक एकेडमी की स्टूडेंट थी। ये स्कूल  बहुत  स्ट्रिक्ट था जहां पर उम्मीदें  बहुत हाई रहती थी। 

इस एकेडमी का टीचिंग सिस्टम बहुत अलग था. यहाँ क्लास सुबह शुरू होकर  शाम को खत्म होती थीं,  इसलिए पढ़ाने का  पीरियड रेगुलर स्कूल से  ज़्यादा लाबा होता था. यहां तक की यहाँ की  क्लासेज़  भी अलग तरह की होती  थी. नॉर्मल स्कूल में स्टूडेंट को  वीकेंड पर छुट्टी दी जाती है और गर्मी की पूरी छुट्टियां भी  मिलती थी, लेकिन  ये एकेडमी स्टूडेंट्स  पर  छुट्टियों और वीकेंड्स में भी क्लास अटेंड करने का दबाव डालती थी। 

इस एकेडमी के गोल बड़े थे। वो  सिर्फ़ बच्चों की पढ़ाई की चिंता नहीं करते थे बल्कि वो उन्हें सेल्फ डिसिप्लिन, टाइम मैनेजमेंट और अपने गोल्स अचीव करने के लिए स्ट्रैटेजिक बनाना भी सिखाते थे.

शुरू-शुरू में, Erica को इस स्ट्रिक्ट सिस्टम के साथ चलने  में बहुत दिक्कत हुई। वो समझ नहीं पा रही थी कि क्यों  उसे  कॉमन चीज़े भी  पढ़नी पढ़ रही थीं  जैसे कि लोगों को ग्रीट करना, क्लास में ठीक ढंग से बैठना, हॉल में बिना शोर किए जाना वगैरह। वो इन सबसे होने वाले फ़ायदों को देख नहीं  पा रही थी। ये एकेडमी Erica को सफल होने के लिए अपने इमोशंस, time  और बिहेवियर  को कंट्रोल करने के तरीके सिखा रही थी। 

जैसे example के लिए,  Erica ने जब टेनिस खेलना शुरू किया तो वो कोई मैच  जीत नहीं पाई क्योंकि वो अपने इमोशंस को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। वो बेहद गुस्से में थी इसलिए टेनिस बॉल पर  फोकस किए बिना हिट किए जा रही थी। इस गुस्से की वजह से वो जीतने के बजाय  हार गई। कोच ने उसकी मदद करने की कोशिश की लेकिन उस वक्त Erica की आँखों पर गुस्से की पट्टी बंधी थी इसलिए उसने कोच की भी  नहीं  सुनी। 

Erica को बाद में एहसास  हुआ कि अगर उसे जीतना है तो उसे अपने इमोशंस को मैनेज करना होगा,  इसलिए उसने ऐसे  रूटीन को फॉलो करना शुरू किया जिससे उसे शांति मिली  और उसका फोकस भी इम्प्रूव हुआ। अब वो अपने इमोशंस  के कंट्रोल में  नहीं  थी बल्कि उसके इमोशंस  उसके कंट्रोल में थे। 

इस example से साबित होता है कि आप चाहे बहुत ज़्यादा डिसिप्लिन्ड ही क्यों ना हों  तो भी आप ऐसे चैलेंजेस का सामना कर सकते हैं जो आपके कंट्रोल के बाहर हैं। आपके टीचर्स, mentors  और आपका एनवायरमेंट आपको अपना गुस्सा कंट्रोल करना सिखा सकते हैं, लेकिन ऐसा सिर्फ़  तभी हो सकता है जब आप अपनी गलतियों से सीखने के लिए तैयार हों। 

सेल्फ डिसिप्लिन और इमोशनल कंट्रोल बनाना  एक लंबा प्रोसेस  है। अपनी गलत आदतों से छुटकारा पाने के लिए आपको  रोज़ प्रैक्टिस  करनी होगी। इसकी शुरुआत क्लियर गोल्स और  इफेक्टिव सिस्टम बनाकर करें  और अच्छी हैबिट्स को अपनाएँ। अगर आप अभी भी स्ट्रगल कर रहे हैं तो उन लोगों की मदद लीजिए जो आपको सेल्फ कंट्रोल और फोकस करना सिखा सकते हैं। 
 

Intelligence 


ज्यादातर ब्रिलिएंट लोग मानते  हैं कि उन्हें  सक्सेस दिलाने के लिए उनके पास जो हथियार है वो है उनका हाई IQ। एक बार जब वो असली दुनिया में निकलते हैं तो उन्हें  हैरानी होती है कि उनकी नॉलेज कितनी कम है। हाई IQ का  होना आपको बिल गेट्स नहीं  बना सकता है। ये चैप्टर आपको इंटेलिजेंस के अलावा सक्सेस के लिए  ज़रूरी 3  सबसे इंपॉर्टेंट एलिमेंट्स के बारे में बताएगा। 

सबसे पहले,  आपको प्रैक्टिकल विज़्डम की  ज़रुरत है। ये विज़्डम या नॉलेज  बहुत सी किताबें पढ़ने या फैक्ट्स को याद करने से नहीं मिल सकती है बल्कि असली विज़्डम लाइफ के एक्सपीरियंस से मिलती है। जब भी आप कुछ नया सीखते हैं तो अपने डेली लाइफ को इम्प्रूव करने के लिए उसे अप्लाई कीजिए। ये प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स ही वो स्किल हैं जो  आपको अपने डिसीजन लेने के  स्किल को इम्प्रूव करने के लिए चाहिए। 

इंटेलिजेंस आपको सिखाती है कि किस तरह नॉलेज अचीव की जाती है जबकि विज़्डम आपको सिखाता  है कि किस तरह इसका इस्तेमाल अपनी या दूसरों की मदद के लिए किया जा सकता है।
 

Example  के लिए,  Bill Gates ने प्रोग्रामिंग सीखी जो एक कॉग्निटिव स्किल है,  लेकिन वो इस लेवल पर रुके नहीं.  उन्होंने अपने विज़्डम का इस्तेमाल मार्केट को जानने के लिए किया और ऐसे प्रोडक्ट्स बनाए जिनकी लोगों को  ज़रुरत थी। 

अगर Bill Gates सिर्फ़ ब्रिलियंट  होते वो एक सक्सेसफुल  इंजीनियर बन सकते थे,  लेकिन क्योंकि उन्होंने रियल लाइफ के प्रॉब्लम   को सॉल्व करने पर फोकस किया तो  वो दुनिया  के सबसे अमीर आदमी बन गए.  उन्होंने ऐसा एम्पायर  बनाया जिसने इंसान की  लाइफ को बदल दिया और ग्रोथ को इंस्पायर किया। 

दूसरा,  आपको इमोशनल इंटेलिजेंस की  ज़रुरत है. इमोशनल इंटेलिजेंस वो एबिलिटी है जिससे आप ह्यूमन इमोशंस को समझ सकते हैं. अगर आप  अपने गुस्से को कंट्रोल करके दूसरों की फीलिंग्स को  को समझ जाते हैं तो आप इमोशनली इंटेलीजेंट बन जाते हैं. 

जब आप इमोशनली इंटेलिजेंट होते हैं तो आप  ज़्यादा बेहतर रिलेशनशिप बनाते हैं और एक अच्छे कम्युनिकेटर, लीडर और पब्लिक स्पीकर बन सकते हैं.

मीनिंगफुल कनेक्शन बनाने के लिए इमोशनल इंटेलिजेंस का होना बहुत इम्पोर्टेन्ट है. ये  इंसान के अंदर दूसरों के लिए हमदर्दी की भावना बढ़ाती है, कम्युनिकेशन को इंप्रूव करती है और इफेक्टिव तरीके  से किसी भी तरह के झगड़े  को सॉल्व कर सकती है।
 

एक बिजनेस लीडर के रूप में इमोशनल इंटेलिजेंस आपको आपके क्लाइंट्स की  ज़रुरत को समझने में,  पॉजिटिव वर्क स्पेस बनाने में और आपकी टीम को  ज़्यादा प्रोडक्टिव बनने के लिए इंस्पायर करने  में मदद करती है. Bill Gates एक  ग्रेट लीडर थे क्योंकि वो इस बात को समझते  थे कि उनके employees  को क्या मोटिवेट करता है. वो उन्हें  इंस्पायर करते थे कि वो उनके  विज़न पर भरोसा करें और उस चीज को अचीव करने की कोशिश करें जिन्हें दूसरे लोग इम्पॉसिबल  समझते हैं।
 

तीसरा है, फ्लेक्सिबिलिटी जिसका मतलब है नए हालातों के हिसाब से ढल जाना और  नए आइडियाज़ को एक्सेप्ट  करना। दुनिया  रोज़ बदल रही है और अगर आप सक्सेसफुल होना चाहते हैं तो आपको इन बदलावों के साथ चलना होगा. अगर आप फ्लेक्सिबल नहीं हैं तो आप irrelevent हो जाएँगे.

जब आप नोटिस करते हैं कि कोई प्लान काम नहीं कर रहा है तो आपको  पीछे जाकर उसे evaluate करना चाहिए और उसे इम्प्रूव करना चाहिए। इंटेलिजेंट होना प्रॉब्लम  को सॉल्व  में आपकी मदद करता है,  लेकिन जब आप कहीं अटक जाते हैं तो आपको फ्लेक्सिबल बनने  और dynamic  सॉल्यूशन की  ज़रुरत होती है.  इसलिए ज़रुरत पड़ने पर आपको  बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

Example के लिए, Bill Gates को अपने ट्रेंडी  सॉल्यूशन  के लिए जाना जाता है. उनकी फ्लेक्सिबिलिटी ने ही उन्हें  एक डोमिनेंट टेक कंपनी बनाने में मदद की थी। जब आप फ्लेक्सिबल होते हैं तो आप चैलेंज को सक्सेस के लिए मिले गए मौकों में बदल लेते हैं। 

जब Erica ने  अपना करियर शुरू किया तो  वो पॉपुलर, स्मार्ट और एंबिशियस थी.  उसने एक एलिट कंसल्टिंग फर्म में काम करना शुरू किया। उसका बॉस Harrison बड़ा ही  ब्रिलिएंट लीडर था जो इमोशंस में  विश्वास नहीं करता था। Harrison पूरी तरह से इंटेलेक्चुअल डिबेट करता था और उसकी थिंकिंग abstract थी। Harrison के इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी उसके फेलियर  का कारण बनी। 

Erica ने नोटिस किया कि उसकी फर्म इंप्रेसिव एनालिसिस और रिपोर्ट के बावजूद भी स्ट्रगल कर रही है. क्लाइंट्स को वैसे प्रैक्टिकल सॉल्यूशन नहीं मिल रहे हैं जैसी उनको  ज़रुरत है। Harrison क्लाइंट्स को जो  ऑफर कर रहा था और क्लाइंट्स को जिस चीज की  ज़रुरत थी, इन दोनों के बीच बहुत बड़ा गैप  था। Harrison  स्मार्ट तो था, लेकिन समझदार  नहीं था। उसे पता नहीं था कि किस तरह अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके दुनिया  पर अपना impact डाला जा सकता है.

Harrison की intellectual एबिलिटी और प्रैक्टिकेलिटी के बीच के गैप ने  Erica को चिंता में डाल दिया। वो समझ गई कि ये फर्म  क्लाइंट्स की मदद करने के लिए बनी है ना कि Harrison की ब्रिलियंस का शो ऑफ करने के लिए. इसलिए Erica ने इसे छोड़कर खुद अपनी कंसल्टिंग फर्म शुरू करने का फैसला  लिया। उसने क्लाइंट के साथ रिलेशनशिप बनाकर  उनकी जरूरतों को प्रायोरिटी दी। 

उसके इस एक्सपीरियंस  ने ये साबित  कर दिया कि सक्सेस सिर्फ़  इंटेलिजेंस पर डिपेंड नहीं करती है। आपको विज़्डम की  ज़रुरत भी  होती है जो रियल वर्ल्ड एक्सपीरियंस, इमोशनल इंटेलिजेंस और इंप्रूव करने की इच्छा से आता है. आपको उन लोगों को भी समझना चाहिए जो आपके साथ काम करते हैं और हर तरह के नजरिए को समझने के लिए तैयार रहना चाहिए।

हमें अपनी स्किल का दिखावा करने के लिए गोल्स  सेट नहीं करने  चाहिए. हमें गोल्स  इसलिए सेट करने  चाहिए ताकि  हम ग्रो करते हुए दूसरों की भी  मदद कर सकें.

 

Freedom and Commitment

पुराने समय में, यंग एडल्ट्स के पास एक क्लियर रास्ता होता था. उनसे आशा की जाती थी कि वो स्कूल जाएं, कॉलेज से ग्रेजुएट हों, जॉब करें,  फिर अपने लिए एक पार्टनर ढूंढे और अपनी family स्टार्ट करें।
 

आज ये उम्मीदें  बदल गई हैं  जिस वजह से आज   यंग एडल्ट पहले से कहीं  ज़्यादा कंफ्यूजड और खोया हुआ फील करते हैं। 

जब आप बीस या तीस की उम्र के होते हैं, तो आप अपने odyssey years जी रहे होते हैं।  इन सालों के दौरान, आपको ये पता लगाना होता है कि आप अपने लाइफ से क्या चाहते हैं.  ज़्यादा से  ज़्यादा ऑप्शन को  एक्स्प्लोर करने की कोशिश कीजिए जब तक कि आपको वो ऑप्शन ना मिल जाए जो आपके लिए सबसे अच्छा हो। 

आपको जो पहली जॉब मिलती है उसी से संतुष्ट ना हो जाएँ। सिर्फ़ इसलिए शादी ना करें क्योंकि आपके दोस्तों ने ऐसा किया है. इसके बजाय, अलग-अलग जॉब try करें, अलग-अलग शहर में रहें और ये जानने की कोशिश करें कि आपको क्या चीज़ सबसे  ज़्यादा खुश और संतुष्ट करती है। 

खोया हुआ या डरा हुआ महसूस करने के बजाय  आपको इन सालों को प्यार से गले लगाना चाहिए. जब आप अलग-अलग चीज़ try करते हैं तो जान पाते हैं कि आपके लिए क्या काम कर रहा है और क्या नहीं। उस काम को नोटिस करें जो आपको एनर्जी  से भरा हुआ और ख़ुश महसूस कराता है. उन चीजों को अपने से दूर कर दें जो आपकी एनर्जी को कम  कर देता है.

अपने आप को दूसरों से कंपेयर मत कीजिए। आपकी सक्सेस की  जर्नी अभी शुरू हुई है और किसी और की जर्नी के फाइनल रिजल्ट को देखकर अपनी प्रोग्रेस के बारे में दुखी होना समझदारी नहीं है। आप यूनिक हैं और आपके यूनिक एक्सपीरियंस  ही आपको आगे बढ़ने में मदद करेंगे। 

Example के लिए, Harold ने पहले से ही एक क्लियर प्लान सोच रखा था। उसका गोल था ग्रेजुएशन कंप्लीट करना, एथलीट बनना और अपने परिवार को प्राउड फील करवाना। फिर जब वो कॉलेज गया तो सब कुछ बदल गया और उसे पता चला कि लाइफ उतनी भी सिंपल  नहीं  है जितना वो सोचता था। 

खुद को आगे बढ़ाने के लिए वो दिन में अपनी स्किल्स को  इम्प्रूव करने में ध्यान देता और रात में कॉलेज पार्टीज़ को  एंजॉय करता। वो अपने दोस्तों के साथ एंजॉय करना मिस नहीं करना चाहता था और साथ ही वो अपने लिए strong resume   भी बनाना चाहता था।
 
कॉलेज के बाद, Harold ने ऐसी  जॉब ढूँढ़नी शुरू की जिसे लेकर वो पैशनेट था। उसने कईं तरह की जॉब की  लेकिन उसे सेटिस्फेक्शन नहीं मिला। वो समझ गया था  कि अपना सच्चा पैशन ढूंढने में उसकी मदद कोई भी नहीं कर पाएगा क्योंकि सिर्फ़ वो ही अपनी इच्छाओं को समझता था इसलिए उसे ख़ुद अपना डिसिशन लेना होगा। 

ज़्यादातर यंग एडल्ट्स Harold की तरह ही कंफ्यूज रहते हैं।  अगर आप  नहीं जानते कि आपको लाइफ में क्या करना है, तो कोई बात नहीं. अलग-अलग रास्ते को explore करने के लिए  odyssey years को यूज़ कीजिए। 

ख़ुद पर प्रेशर मत डालिए. हर नया एक्सपीरियंस  आपको अपने बारे में और अपने आस-पास की दुनिया के बारे में कुछ नया सिखाता है। सिर्फ़ आप ही discover  करके  जान सकते हैं कि आप कौन हैं और आप क्या चाहते हैं। इसलिए सीखते रहें  और आपको अपना पर्पस मिल जाएगा। 

ओपन और फ्लेक्सिबल बनिए। अगर आपके plans  काम नहीं कर रहे तो नया  प्लान बनाइए  क्योंकि  आप अभी  ये जानने के प्रोसेस में हैं  कि आपके लिए क्या सही रहेगा और क्या ये आपके  वैल्यूज में फिट होता है या  नहीं। ये काम आसान नहीं है और इसमें टाइम लग सकता है, लेकिन पॉजिटिव बने रहिए और फ्रीडम के इस रास्ते पर चलते हुए अपना हर एक पल एंजॉय कीजिए। 

Conclusion


लाइफ एक कभी ना रूकने वाली जर्नी है जो नए-नए एक्सपीरियंस  और लाइफ चेंजिंग इवेंट से भरी हुई है। इस समरी के हर  चैप्टर ने आपकी  सोशल ग्रोथ की जर्नी के एक-एक पहलू को कवर किया  है। 

सबसे पहले,  आपने जाना कि composure  क्लास के लोग  अमीर और हम्बल होते हैं. वो अट्रैक्टिव हो सकते हैं लेकिन वो सच्चे  ह्यूमन कनेक्शन नहीं बना पाते। अगर आप सक्सेसफुल और  अमीर इंसान बनना चाहते हैं तो रियल रिलेशनशिप्स की इंपॉर्टेंस को कभी मत भूलिए। लाइफ सिर्फ़  फाइनेंशियल सक्सेस के बारे में नहीं है बल्कि खुश रहने के लिए आपको  सोशल लाइफ की भी  ज़रुरत होती है.

सेकंड, आपने जाना कि माँ बनने के बाद  आपकी लाइफ के कई एरिया को बदल देता है।  शुरू-शुरू में ये बदलाव आपको सरप्राइज कर सकता है, लेकिन फिर आप इसे प्यार करने लगते हैं और यहां तक कि बाहर जाकर एंजॉय करने या फिर अपने करियर को बेहतर  बनाने पर फोकस करने के बजाए आप अपने बच्चे  की मुसकुराते हुए और बड़े होते हुए देखना पसंद करने लगते हैं। एक मां और उसके बच्चे के बीच जो रिश्ता होता है वो प्यार, कमिटमेंट और अनकंडीशनल ख़ुशी की एक कहानी बयान करता है। 

थर्ड, आपने सीखा कि सिक्योर  अटैचमेंट पेरेंट्स और बच्चे के बीच का ऐसा  रिलेशनशिप होता  है जिसमें   डिसिप्लिन और इमोशनल सपोर्ट का कॉम्बिनेशन  होता है. जब आप जानते हैं कि कब आपको रूल  सेट करना   है और कब सपोर्टिव रहना है तो  आप अपने बच्चे को एक कॉन्फिडेंट,  सोशल और प्यार करने वाला इंसान बनाते हैं। 

फ़ोर्थ, आपने सीखा कि सोशल और एकेडमिक सक्सेस के बीच में क्या फ़र्क  होता है। स्कूल में पॉपुलर होने से ये डिसाइड  नहीं  हो जाता कि आप कौन हैं  बल्कि आपको अपनी बाकि के एम्बिशन  ढूँढ़ने  पड़ेंगे  जैसे कि अपने ग्रेड्स इंप्रूव करना, दुनिया में बदलाव लाने की कोशिश करना और दूसरों के काम आना। अपने mentors  से मदद मांगिए,  वो  आपको आपका असली  पर्पज़ ढूँढने और रियल पोटेंशियल डिस्कवर करने के लिए एनकरेज़ करेंगे। 

फिफ्थ, आपने जाना  कि सेल्फ-डिसिप्लिन और इमोशनल कंट्रोल कभी ना रुकने वाला प्रोसेस है। आप डेली प्रैक्टिस करके, दूसरों की हेल्प लेकर और  अपने एन्वॉयरमेंट को बदलकर ज़्यादा  डिसिप्लिन्ड   बन सकते हैं। 

सिक्स्थ, आपने सीखा कि सिर्फ़  हाई  इंटेलिजेंस ही सक्सेस के लिए  काफ़ी नहीं है बल्कि आपको रियल लाइफ की प्रॉब्लम को हल करने और दूसरों को बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए प्रैक्टिकल विज़्डम, इमोशनल इंटेलिजेंस और  फ्लेक्सिबिलिटी की भी ज़रुरत है. 

फाइनली,  आपने सीखा कि जब आप अपने ट्वेंटीज या अर्ली थर्टीज़ में होते हैं तो ये odyssey years होते हैं यानी  वो टाइम होता है जब आप सेल्फ डिस्कवरी कर सकते हैं और दुनिया की अलग-अलग चीजों को एक्सप्लोर कर सकते हैं। घर से निकलिए और असली दुनिया में लाइफ एंजॉय करना सीखिए। नए एक्सपीरियंस  और नई-नई जॉब्स को  ट्राई कीजिए,  हो सके तो दुनिया के अलग-अलग शहरों में रहिए,  जब तक कि आपको वो  नहीं  मिल जाता जो आपके लिए बेस्ट है। 

तो क्या आप अपनी लाइफ को इंप्रूव करने के लिए इन lessons को अपनी लाइफ में अप्लाई करना चाहेंगे?

आप अपने रिश्तों को मजबूत बनाने और सेल्फ-डिसप्लिन डेवलप करने और अपने करियर को और ज़्यादा मीनिंगफुल बनाने पर फोकस कर सकते हैं।
 

याद रखिए, असली सक्सेस अपने ऐम्बिशन को ऑथेंसिटी के साथ बैलेंस  करने से मिलती  है,  सिर्फ़ स्मार्ट या पॉपुलर बनकर  नहीं। लोगों पर हमेशा के लिए अपना impact डालने के लिए  दूसरों की परवाह  कीजिए।
 

आप एक सोशल एनिमल हैं जिसे कनेक्शन्स की, ऐम्बिशन की और सेल्फ कंट्रोल की  ज़रुरत है।

अपने फ्यूचर को ज़्यादा अच्छा और  मीनिंगफुल बनाने के लिए आज से ही क्लियर गोल्स सेट कीजिए।

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