TRAFFIC SECRETS - The Underground Playbook for Filling Your Websites and Funnels with Your Dream Customers
Russel Brunson
इंट्रोडक्शन
ऑनलाइन मार्केटिंग लगातार बदलती जा रही है। एक आंत्रप्रेंयूर बने रहने के लिए आपको फ्लेक्सिबल और strong बनना होगा। फ्लेक्सिबल बनने से कंसिस्टेंसी आती है, जो एक पर्सनल ब्रैंड बनाने के लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट है। फ्लेक्सिबिलिटी का मतलब है changes के हिसाब से खुद को ढालना और मार्केट के trends को फॉलो करना।
आपको इन changes को भी समझने की ज़रुरत है। अगर आप जानते हैं कि इफेक्टिव मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज़ को कैसे सेट किया जाता है और कन्वर्टिंग सेल्स फनल्स को कैसे बनाया जाता है, तो आप कई चैलेंजेज़ से बाहर निकल पाएंगे और अपनी इनकम को भी बढ़ा पाएंगे।
ये समरी आपको आपके आइडियल कस्टमर्स को पहचानना, अच्छी मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज़ सेट करना और ट्रैफिक attract करना सिखाएगी। आप ऐसे टूल्स के बारे में भी जानेंगे जिससे आप एक स्टेबल और adaptable बिज़नस फाउंडेशन बना सकते हैं।
इन स्ट्रेटेजीज़ को मास्टर करने से आप लंबे समय तक चलने वाला सक्सेसफुल बिज़नस बना सकते हैं। भले ही आपके सामने चैलेंजेज़ आएं, फिर भी आप इस बुक के ऑथर के एक्सपीरियंस और नॉलेज की मदद से उनका सामना कर पाएँगे।
चाहे आप एक नया बिज़नस शुरू कर रहे हों या अपने करंट बिज़नस में फेल हो रहे हों, ये समरी आपको अपने बिज़नस में ज़्यादा ट्रैफिक attract करने और सस्टेनेबल इनकम पाने में मदद करेगी।
Who Is Your Dream Customer?
प्रोडक्ट बनाने से भी ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट होता है मार्केटिंग। पहले मार्केट में competition कम होता था और कस्टमर्स इतने सारे ऑफर्स देखकर घबराते नहीं थे और इसलिए तब अगर आपने एक अच्छा प्रोडक्ट होता था तब भी आप मार्केटिंग स्किल्स के बिना सक्सेसफुल हो सकते थे।
लेकिन अब मार्केट बदल गया है। आज कई आंत्रप्रेंयूर इसलिए फेल हो जाते हैं क्योंकि उन्हें अपने प्रोडक्ट को बेचने का स्किल नहीं आता है। वो अपने स्किल्स को डेवलप करने और प्रोडक्ट बनाने में सालों लगा देते हैं, लेकिन वो कस्टमर्स को attract करने के स्किल पर ध्यान ही नहीं देते। कोई प्रोडक्ट कितना भी अच्छा क्यों ना हो लेकिन वो खुद-ब-खुद कस्टमर्स को attract नहीं कर सकता है।
इसलिए, एक सक्सेसफुल आंत्रप्रेंयूर बनने के लिए आपको अपनी सर्विसेज़ को मार्केट करना सीखना होगा।
सक्सेसफुल मार्केटिंग का पहला स्टेप है अपने टारगेट कस्टमर को समझना। एनालाइज़ कीजिए कि वो कौन हैं, वो कहाँ रहते हैं और उनकी ज़रूरतें क्या हैं।
जब आप कस्टमर्स के किसी एक ग्रुप पर फोकस करते हैं तो आप ऐसी स्ट्रेटेजीज़ बना सकते हैं जो सिर्फ उन्हें ही टारगेट करती है। इस फोकस के बिना, आप ऐसे लोगों पर अपना टाइम, एनर्जी और रिसोर्सेज़ को बर्बाद कर देंगे जो आपकी सर्विसेज़ में इंट्रेस्टेड ही नहीं हैं।
इसके लिए, आपको एक डिटेल्ड प्रोफाइल बनाना होगा जिसमें कस्टमर्स के डेमोग्राफिक, interest और बिहेवियर शामिल हों। मार्केटिंग में, इसे कस्टमर का avatar बनाना कहते हैं।
सबसे पहले, अपने आइडियल कस्टमर का बेसिक डेमोग्राफिक बनाइए। उनकी ऐज, जेंडर, marital स्टेटस, एजुकेशन लेवल और इनकम को पहचानिए।
इसके बाद, उनके लाइफस्टाइल और interest को स्टडी कीजिए। इस बात पर ध्यान दीजिए कि वो कहाँ रहते हैं, क्या काम करते हैं, उनकी हॉबीज़ क्या हैं और उनका डेली रूटीन क्या है।
आपको अपने आइडियल कस्टमर्स की उन problems के बारे में भी सोचना होगा जो आपका प्रोडक्ट या सर्विस सॉल्व कर सकता है। खुद से ये पूछिए कि ऐसा क्या है जिससे वो परेशान हो जाते हैं और रात को सो नहीं पाते।
इसके बाद, उनके गोल्स और सपनों को पहचानिए। आपका आइडियल कस्टमर लाइफ में क्या हासिल करना चाहता है? उनके पर्सनल और प्रोफेशनल गोल्स क्या हैं? ये जानने से आपको अपने कस्टमर के गोल्स और एस्पिरेशन से जुड़े प्रोडक्ट बनाने में मदद मिलेगी।
आपके कस्टमर का buying बिहेवियर भी बहुत इम्पोर्टेन्ट है। इस बात को एनालाइज़ कीजिए कि आपका आइडियल कस्टमर किसी चीज़ को खरीदने का डिसिशन कैसे लेता है। क्या वो ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं या किसी स्टोर में जाकर? क्या वो रिव्युज़, रिकमेन्डेशन या advertisement पर भरोसा करते हैं?
जब आप अपनी findings के हिसाब से एक डिटेल्ड avatar बनाएंगे तो आप अपने मार्केटिंग के हर मैसेज के ज़रिए अपने आईडियल कस्टमर से बात कर पाएंगे।
जैसे, एक ब्यूटी कंपनी ने एलेक्सिस नाम का avatar बनाया। एलेक्सिस एक रियल इंसान नहीं था लेकिन इसमें एक आइडियल कस्टमर की सारी खूबियाँ थीं। जब भी उस कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स के बारे में फैसला लेना होता था तो वो एलेक्सिस की मदद लेते थे। वो खुद से पूछते थे कि एलेक्सिस को क्या पसंद आएगा? उसकी क्या problems हैं? ऐसी क्या चीज़ है जो उसे खुश करती है?
प्रोडक्ट सेंट्रिक अप्रोच को फॉलो करना बंद कीजिए। अपने प्रोडक्ट के cool features और उसके फ़ायदों पर फोकस मत कीजिए बल्कि कस्टमर-सेंट्रिक माइंडसेट के साथ काम कीजिए। अपने कस्टमर की प्रॉब्लम को सॉल्व कीजिए और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश कीजिए।
अपने कस्टमर्स से साथ जुड़ने से, उनसे फीडबैक मांगने से और अपनी सर्विसेज़ को अपडेट करने से, आपको उनके बारे में और जानने में मदद मिलती है।
अब, चैड वूल्नर (Chad Woolner) नाम के कायरोप्रैक्टर को ही ले लीजिए। चैड ने अपने शुरुआती साल अपनी एजुकेशन को पूरा करने में लगा दिया। कायरोप्रैक्टर बनने के लिए उन्होंने 8 साल पढ़ाई की लेकिन एक ऐसा स्किल था जो किसी भी एजुकेशनल सिस्टम ने उन्हें नहीं पढ़ाया था और वो था मार्केटिंग का स्किल।
इसलिए जब चैड के अपना क्लिनिक खोला और एक भी पेशेंट उनके पास नहीं आया तो वो हैरान परेशान हो गए। इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए उन्हें मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज़ सीखनी और अप्लाई करनी पड़ी। सबसे पहले, उन्होंने अपने आईडियल कस्टमर के बारे में इमेजिन किया। इससे उन्हें पता चला कि ज़्यादातर पेशेंट कायरोप्रैक्टर्स के पास इसलिए नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि वो किसी तरह का दर्द नहीं झेलना चाहते हैं और उससे डरते हैं।
इसलिए, चैड कम्फ़र्टेबल और painless ट्रीटमेंट करने पर फोकस करने लगे। इसके बाद, उन्होंने अपने ब्रैंड के बारे में advertise करने के लिए फेसबुक और गूगल ad का इस्तेमाल किया। अगर वो ऐसा नहीं करते तो शायद फेल हो जाते और एक नया करियर शुरू करने के लिए उन्हें अपना क्लिनिक भी बंद करना पड़ता।
चैड की कहानी से ये साबित होता है कि किसी चीज़ में स्किल्ड हो जाने से सक्सेसफुल होने की गारंटी नहीं होती है। मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज़ के बिना किसी को पता नहीं चलेगा कि आप मार्केट में हैं भी या नहीं।
इसलिए, फेलियर से बचने के लिए आपको अपने टारगेट कस्टमर्स को समझना होगा और उन्हें attract करना होगा। सिर्फ़ बेस्ट प्रोडक्ट बनाने पर फोकस मत कीजिए बल्कि अपने कस्टमर्स की ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश कीजिए।
इसके लिए, अपने आइडियल कस्टमर को पहचानकर और कस्टमर-सेंट्रिक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाकर शुरुआत कीजिए। याद रखिए कि आपका बिज़नस आपके बारे में नहीं है बल्कि इसमें आपको अपने कस्टमर्स की प्रॉब्लम को सॉल्व करने में मदद करना है।
Where Are They Hiding? The Dream 100
पहले के समय में, अपनी सोच जैसे लोगों से मिलने के लिए आपको लोकल कम्युनिटीज़ ढूँढनी पड़ती थी, लेकिन आज इंटरनेट ने हमारे लिए कनेक्शंस बनाना पहले से कहीं ज़्यादा आसान बना दिया है। अब, आप गूगल की मदद से ऐसे लोगों को ढूँढ सकते हैं जिनके आपके जैसे interest हैं। वो भले ही दुनिया के अलग-अलग कोने में रहते होंगे, लेकिन वो अपने प्लान्स और हॉबीज़ के बारे में आपके साथ रोज़ डिस्कस कर सकते हैं।
इंटरनेट पर बहुत सारी niche यानी speciality कम्युनिटीज़ हैं। Niche कम्युनिटीज़ ऐसे ग्रुप्स होते हैं जिसमें लोगों के एक जैसे interest और हॉबीज़ होती हैं। उनका गोल एक ऐसी जगह बनाना है जहाँ लोग एक दूसरे से कनेक्ट कर सकें, अपने आइडियाज़ को शेयर कर सकें और एक दूसरे को सपोर्ट कर सकें। अगर ये niche कम्युनिटीज़ नहीं होतीं तो लोग सिर्फ अपने लोकल एरिया तक ही लिमिटेड रह जाते।
जैसे, अगर पहले आप एक रेसलर थे तो आप सिर्फ़ अपने हाई स्कूल के दोस्तों से ही रेसलिंग के बारे में बात कर सकते थे, लेकिन इस मॉडर्न दुनिया में आप दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी इंसान के साथ कनेक्ट कर सकते हैं। पूरी दुनिया अब एक बड़ी कम्युनिटी बन गई है, जो छोटी-छोटी niche कम्युनिटीज़ में बंटी हुई है।
टार्गेटेड मार्केटिंग (Targeted Marketing) का मतलब है अपने सारे मार्केटिंग एफर्ट्स को किसी एक niche कम्युनिटी पर फोकस करना। ये अप्रोच, सेल्स को बढ़ाने और कॉस्ट को कम करने में बहुत इफेक्टिव है क्योंकि आप एक ऐसे स्पेसिफिक ग्रुप से बात कर रहे हैं, जो आपके प्रोडक्ट्स को पसंद करता है या उन्हें आपके प्रोडक्ट्स की ज़रुरत है।
मास मार्केटिंग (Mass marketing) अब काम नहीं करती। अगर आप सभी से बात करेंगे तो किसी का भी ध्यान नहीं खीँच पाएँगे। जैसे, टीवी ad को यूज़ करना महंगा होता है और ये किसी ख़ास इंसान या ग्रुप को टारगेट नहीं करता है। आपके ad को बहुत सारे लोग देखते हैं, लेकिन वो टीवी का चैनल बदल देते हैं क्योंकि आप डायरेक्टली उनसे बात नहीं कर रहे हैं। टार्गेटेड मार्केटिंग के ज़रिए आप अपने ad को कुछ स्पेकोफिक कम्युनिटीज़ के लिए बना सकते हैं।
टार्गेटेड मार्केटिंग की शुरुआत, अपने आइडियल कस्टमर को पहचानने से होती है। ‘द ड्रीम 100’, एक ऐसी टार्गेटेड मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है जिसमें आप एक niche की टॉप 100 कंपनियों या ग्रुप्स की एक लिस्ट बनाते हैं। इसके बाद, इस ऑडियंस को अपनी ओर खींचने के लिए आप अपनी पूरी जान लगा देते हैं।
जैसे, अगर आप रेसलिंग के प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं तो आपके ड्रीम कस्टमर्स, रेसलर्स होंगे या उनके फैन्स होंगे। इन कस्टमर्स को ढूँढने के लिए पहले ये पता लगाइए कि वो ऑनलाइन किस जगह या प्लेटफ़ॉर्म पर जाते हैं। जैसे, रेसलिंग वेबसाइट, फ़ोरम, सोशल मीडिया के ग्रुप्स, blogs को देखिए। इनमें से, 100 सबसे इन्फ्लुएंशियल प्लेटफॉर्म्स को choose कीजिए।
इसके बाद, अपने सभी मार्केटिंग एफर्ट्स को इन इन्फ्लुएंसर्स पर लगा दीजिए। उनके कंटेंट से जुड़िए, उन्हें वैल्यू ऑफर कीजिए और उन्हें कोलैबोरेशन और advertising का ऑफर देने के लिए उनसे contact कीजिए।
उनके साथ अपना रिलेशनशिप बनाने के बाद आप इन इन्फ्लुएंसर्स से अपने प्रोडक्ट या कंटेंट को प्रमोट करने के लिए कह सकते हैं। आप उनसे गेस्ट पोस्ट, इंटरव्यू या डायरेक्ट advertising के बारे में भी बात कर सकते हैं।
इस बुक के ऑथर रसल ब्रंसन ने, ड्रीम 100 स्ट्रेटेजी को तब यूज़ किया था जब वो DotCom Secrets नाम की बुक लिख रहे थे। इसके लिए, उन्होंने अपने niche के टॉप 185 इन्फ्लुएंसर्स की एक लिस्ट बनाई और अपने रीडर्स तक पहुँचने पर फोकस किया।
रसल ने पॉपुलर वेबसाइट्स, एक्टिव फेसबुक ग्रुप्स, key सोशल मीडिया एकाउंट्स, जाने माने पॉडकास्ट, इन्फ्लुएंशियल, सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले ईमेल newsletter के साथ-साथ ऐसे यूट्यूब चैनल्स भी ढूंढे जिस पर लोग बहुत ज़्यादा विज़िट करते हैं। इस लिस्ट की वजह से, वो अपने आइडियल ऑडियंस से कनेक्ट कर पाए।
रसल ने इन इन्फ्लुएंसर्स को personalised पैकेज भेजे जिसमें उनकी बुक DotCom Secrets की एक कॉपी और एक पर्सनल लैटर था। उस लैटर में, उन्होंने खुद के बारे में बताया था, अपनी बुक की वैल्यू के बारे में समझाया था और उन्हें अपनी बुक को प्रमोट करने के लिए पूछा था।
उनका लैटर बहुत attractive था, जिसकी मदद से वो उन इन्फ्लुएंसर्स को अपनी ओर खींच पाए। इन इन्फ्लुएंसर्स में से एक थे, जॉन ली डुमास, जो “आंत्रप्रेंयूर्स ऑन फायर” नाम के फ़ेमस पॉडकास्ट के होस्ट थे। जॉन की ऑडियंस बहुत बड़ी थी जिनमें आंत्रप्रेंयूर्स का एक बड़ा और engaged ग्रुप था और ये बिल्कुल वही ऑडियंस थी जिनके लिए रसल ने अपनी बुक लिखी थी।
जॉन, रसल की मदद करने के लिए तैयार हो गए और उन्होंने अपने पॉडकास्ट पर उन्हें एक गेस्ट के रूप में invite किया। उस इंटरव्यू के दौरान, रसल को अपनी बुक के बारे में बताने, अपनी नॉलेज शेयर करने और जॉन की ऑडियंस के साथ कनेक्ट करने का मौका मिला। जॉन ने उनके बुक की बहुत तारीफ़ की और अपने लिसनर्स को उसे खरीदने के लिए भी कहा।
इस इंटरव्यू की मदद से, उनकी बुक की 500 से ज़्यादा कॉपी बिकीं। इस बात से, टार्गेटेड मार्केटिंग की ताकत साबित हो गई। रसल वहां रुके नहीं। वो अपनी ड्रीम 100 लिस्ट के दूसरे इन्फ्लुएंसर्स से बात करते रहे, उनके साथ रिलेशनशिप बनाते रहे और एडिशनल प्रमोशन भी करते रहे। जैसे-जैसे वो और ज़्यादा लोगों के साथ जुड़ रहे थे, वैसे वैसे DotCom Secrets की सेल्स बढ़ती जा रही थी।
इसलिए, अगर आप कुछ बेचना चाहते हैं तो ड्रीम 100 का technique अप्लाई कीजिए। अपने niche के टॉप 100 इन्फ्लुएंसर्स की एक लिस्ट बनाइए और इसके बाद उनसे जुड़ने की कोशिश कीजिए। उनके साथ फॉलो अप कीजिए और उनसे प्रमोशन और paid ads के बारे में पूछिए।
बेस्ट रिज़ल्ट पाने के लिए, अपने आउटरीच यानी पहुँच को personalise करना मत भूलिएगा। सब्र रखिए और हर इन्फ्लुएंसर को ये समझने का मौका दीजिए कि आप कौन हैं और क्या करते हैं।
Hook, Story, Offer, and The Attractive Character
स्टोरीटेलिंग यानी कहानी सुनना, मार्केटिंग में एक गेम-चेंजर की तरह है जो चीज़ों को पूरी तरह बदलकर रख देता है। एक पर्सनल ब्रैंड बनाने के लिए ये बड़ा ही पावरफुल टूल बन गया है। किसी मैसेज को story की तरह सुनाने से वो और ज़्यादा relatable बन जाता है और आप अपने ऑडियंस से इमोशनली कनेक्ट कर पाते हैं। जब आप स्टोरीज़ शेयर करते हैं तो इसमें आप किसी प्रॉब्लम और उसके solution के बारे में डिस्कस करते हैं। इसके बाद, आप ये समझाते हैं कि आपका प्रोडक्ट या सर्विस इसमें कैसे मदद कर सकता है।
स्टोरीटेलिंग के स्किल में तीन हिस्से हैं -
पहला, आपको एक हुक की मदद से अपने ऑडियंस का ध्यान बनाए रखना है। इसके लिए, आप एक attractive इमेज, एक दिलचस्प headline या एक provocative यानी उकसाने वाला सवाल यूज़ कर सकते हैं। यहाँ आपका गोल है कि आपकी ऑडियंस चाहे कोई भी काम कर रही हो पर वो अपना काम छोड़कर आपके मैसेज की ओर ध्यान देने पर मजबूर हो जाए।
एक स्ट्रोंग हुक के बिना कोई भी आपका कंटेंट नहीं देखेगा। अगर आपकी ऑडियंस को आपकी बात में interest ही नहीं होगा तो वो आपके कंटेंट से बिना जुड़े कहीं और चले जाएंगे।
दूसरा, हुक के बाद आती है स्टोरी। ये आपको एक context देती है, आपके ऑडियंस के साथ कनेक्शन बनाती है और आपके मैसेज में एक वैल्यू add करती है। स्टोरी में आप अपने एक्सपीरियंस, स्ट्रगल और solution के बारे में शेयर करते हैं। जब आप अपने ऑडियंस के साथ एक इमोशनल bond बनाते हैं, तो ये आपको एक भरोसेमंद और authentic इमेज बनाने में मदद करता है।
तीसरा, आपका ऑफर एक ऐसा वादा है जो आप अपने ऑडियंस को उनके टाइम और अटेंशन के बदले में देते हैं। आप उन्हें कोई प्रोडक्ट, सर्विस या न्यूज़लेटर साइन करने या एक फ्री गाइड डाउनलोड करने जैसे कॉल टू एक्शन जैसी चीज़ें ऑफर कर सकते हैं। आपका ऑफर इतना attractive और वैल्युएबल होना चाहिए कि आपकी ऑडियंस उस काम को करने के लिए मान जाए, जो आप चाहते हैं।
इंटरेस्टिंग स्टोरीज़ सुनाने के लिए, आपको अपनी स्टोरी के लिए एक हीरो choose करना होगा। इस हीरो के एक्सपीरियंस उस तरह के होने चाहिए जिससे आपकी ऑडियंस रिलेट कर पाए और उसे समझ पाए।
ये character आप ख़ुद भी हो सकते हैं या आप किसी और शख्स को इस्तेमाल कर सकते हैं। लोग, ऐसे engaging, attractive, ऑनेस्ट characters के साथ रिलेट कर पाते हैं जो vulnerability और ग्रोथ को दिखाते हैं।
नैटली हडसन ने, जेसिका को एक नया कस्टमर बनाने के लिए, इस स्टोरीटेलिंग फ्रेमवर्क यानी हुक, स्टोरी, ऑफर का इस्तेमाल किया था। जेसिका, नैटली की स्टोरी की एक attractive character है।
जेसिका काम के कारण थकी हुई एक ऐसी माँ है जिसे आखिरकार खुद के लिए वक़्त मिल पाया है और इसमें वो फेसबुक पर अलग-अलग लोगों के प्रोफाइल देखना चाहती थी। यहाँ, जेसिका ने एक औरत की फ़ोटो देखी जिसमें उसने एक्सरसाइज़ के कपडे पहने हुए थे और उसके शॉर्ट्स पर एक डार्क ग्रे रंग का निशान था. इस अनोखे इमेज के जेसिका का ध्यान खींचा और उसके मन में उस औरत के बारे में और जानने की इच्छा हुई।
जेसिका ने उस इमेज पर क्लिक किया जिसका headline था: “आइए, मैं आपको उस वक़्त के बारे में बताती हूँ जब मैंने वर्कआउट के दौरान अपने पैन्ट में सुसु कर दिया था”। ये headline वो हुक था जिसने जेसिका के interest को बनाए रखा था। जेसिका ने वो वीडियो देखा जिसमें एक फिटनेस ब्लॉगर नैटली हडसन ने अपनी एक ऐसी स्टोरी शेयर की थी जिसमें उन्होंने वर्कआउट के दौरान अपने पैन्ट में सुसु कर दिया था।
जेसिका इस स्टोरी से रिलेट कर पा रही थी क्योंकि उसके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था। जेसिका को वो वक़्त याद था जब उसने अपने बच्चों के साथ trampoline पर कूदते हुए अपने पैन्ट में सुसु कर दिया था। बिल्कुल नैटली की तरह, उसे भी बेहद शर्मिंदगी महसूस हुई थी।
इसके बाद नैटली ने उस डॉक्टर के बारे में बताया जो औरतों की इस प्रॉब्लम में मदद करने में स्पेशलिस्ट हैं। उन्होंने ऐसी एक्सरसाइज़ेज़ का ज़िक्र किया जो आपके abs, कोर और पेल्विक फ्लोर को मज़बूत बनाती हैं। स्टोरी के इस हिस्से में इस प्रॉब्लम का solution दिया गया था जिससे ये जेसिका के लिए और वैल्युएबल बन गया था।
नैटली ने ये समझाया कि कैसे उन्होंने उस डॉक्टर के साथ मिलकर एक ऑनलाइन प्रोग्राम बनाया था जो कोई भी अपने घर पर कर सकता है। इस प्रोग्राम में एक e-book दिया जाता है जिसमें डाइट, nutrition टिप्स, एक्सरसाइज़ और ट्रेनिंग सबके बारे में बताया हया है।
ये ऑफर है। ये एक प्रॉब्लम का प्रैक्टिकल solution है जिसका सामना कई औरतें कर रही हैं। ये E-book एक ऐसा solution है, जो कोई भी औरत खरीद सकती है और इसे घर पर अप्लाई कर सकती है।
जेसिका ये ऑफर देखकर बहुत excited हो गई। उसने अपना क्रेडिट कार्ड लिया और तुरंत वो e-book खरीद लिया और अपनी इस शर्मिंदा करने वाली वाली प्रॉब्लम से छुटकारा पाने की उम्मीद करने लगी।
इस एग्ज़ाम्पल ने ये साबित कर दिया कि हुक, स्टोरी और ऑफर फ्रेमवर्क काम करता है। हुक ने जेसिका के अटेंशन को खींचा, स्टोरी ने उसके साथ एक कनेक्शन और वैल्यू दिया और ये ऑफर इतना attractive था कि जेसिका उसे खरीदने से ख़ुद को रोक नहीं पाई।
इसलिए, अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी को ताकत देने के लिए आपको स्टोरीटेलिंग का इस्तेमाल करना चाहिए। Attractive हुक्स लिखिए, एक relatable story add कीजिए और इसके बार एक ऐसा solution ऑफर दीजिए जिसे देखकर कोई खुद को रोक ना सके। ये फ्रेमवर्क, आपको अपने ऑडियंस से जुड़ने और उन्हें आपका कस्टमर बनाने में मदद करेगा।
Work Your Way In, Buy Your Way In
रिलेशनशिप बनाना, मार्केटिंग में एक इम्पोर्टेन्ट स्टेप है। जब आप कोई प्रोडक्ट लॉन्च करते हैं तो आपको अपनी इंडस्ट्री के इम्पोर्टेन्ट लोगों से कनेक्ट करना चाहिए। इन्फ्लुएंसर्स से कनेक्ट करने से आपको अपने टारगेट ऑडियंस तक जल्दी पहुँचने में मदद मिल सकती है।
इन्फ्लुएंसर्स को बहुत लोग फॉलो करते हैं और वो आपके प्रोडक्ट को अपने ऑडियंस के बीच प्रमोट कर सकते हैं। उनसे मदद मांगकर आप अपने ट्रैफिक को बढ़ा सकते हैं। प्रमोशन के लिए पूछने से पहले, आपको अपने niche के इम्पोर्टेन्ट लोगों से रिलेशनशिप बनाना होगा।
उस वक़्त का इंतज़ार मत कीजिए जब आप एक परफेक्ट ऑफर या प्रोडक्ट बना लेंगे। इन्फ्लुएंसर्स से आज ही जुड़ना शुरू कीजिए, उनके काम की तारीफ़ कीजिए और उन्हें वैल्यू ऑफर कीजिए।
अपने प्रोडक्ट को लॉन्च करने से पहले आपको एक प्लान बनाना होगा। सबसे पहले, इस बात को जानिए कि आपकी टारगेट ऑडियंस कौन है। इसके बाद, उनकी ज़रूरतों को समझिए। इसके बाद, ये सोचिए कि आप उन्हें कैसे पूरा कर सकते हैं। अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने के लिए सही चैनल को choose कीजिए।
जैसे, अगर आपकी ऑडियंस घंटों सोशल मीडिया पर टाइम बिताती है तो आपको फेसबुक, instagram या ट्विटर पर कंटेंट बनाना चाहिए। अगर आपकी ऑडियंस blog पढ़ना या पॉडकास्ट सुनना ज़्यादा पसंद करते हैं तो आपको अपना ब्लॉग या पॉडकास्ट शुरु करना चाहिए।
ट्रैफिक पाने के लिए दो तरीके हैं: organic और paid।
जब आप रिलेशनशिप बनाते हैं, सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट डालते हैं और अपनी पहुँच को बढ़ाने के लिए नॉन-paid तरीके अपनाते हैं, तो आपको organic ट्रैफिक मिलता है। v
Paid ट्रैफिक इससे ज़्यादा फ़ास्ट होता है क्योंकि इसमें आप ad और फॉलोअर्स के लिए पैसा ख़र्च करते हैं।
दोनों तरीके इम्पोर्टेन्ट हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। Organic ट्रैफिक में भले ही वक़्त लगता है लेकिन इससे आपको ज़्यादा engaged और लॉयल कस्टमर्स मिलते हैं। Paid ट्रैफिक से जल्दी रिज़ल्ट मिलते हैं लेकिन इससे कन्वर्शन या सस्टेनेबिलिटी की कोई गारंटी नहीं मिलती है।
रसल ब्रंसन ने अपना प्रोडक्ट ClickFunnels लॉन्च करने से पहले ट्रैफिक बढ़ाने के लिए स्ट्रेटेजिक प्लानिंग और रिलेशनशिप्स बनाने का तरीका यूज़ किया था।
सबसे पहले, रसल ने इस बात को एनालाइज़ किया कि उनके आइडियल कस्टमर्स कौन हैं और उनकी ज़रूरतें क्या हैं। इसकी मदद से, उन्होंने एक ऐसा प्रोडक्ट बनाया जिसने उनके ऑडियंस की असली प्रॉब्लम को सॉल्व कर दिया।
इसके बाद, रसल ने अपने गोल तक पहुँचने के लिए सबसे असरदार स्टेप्स के बारे में सोचा। उन्होंने सिर्फ ClickFunnels से सक्सेसफुल होने की उम्मीद नहीं लगा रखी थी बल्कि उन्होंने अपनी ड्रीम 100 की लिस्ट भी बनाई।
इस लिस्ट में उनकी niche के वो 185 इन्फ्लुएंसर्स थे जो उनके ड्रीम कस्टमर्स से कनेक्टेड थे। रसल ने उन इम्पोर्टेन्ट इन्फ्लुएंसर्स पर पूरा फोकस किया, जो उन्हें उनके टारगेट ऑडियंस से तेज़ी से जुड़ने में मदद कर सकते थे।
रसल ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि वो किस तरह का ट्रैफिक चाहते थे। वो organic और paid ट्रैफिक की इम्पोर्टेंस को जानते थे, इसलिए उन्होंने दोनों का इस्तेमाल किया। उन्होंने organic ट्रैफिक पर ज़्यादा फोकस किया क्योंकि ये ज़्यादा सस्टेनेबल यानी टिकाऊ है।
रसल की स्ट्रेटेजी का दूसरा इम्पोर्टेन्ट हिस्सा था, रिलेशनशिप्स बनाना। वो सबसे पहले इन्फ्लुएंसर्स से जुड़े, उनके काम में interest लिया और फिर उन्हें वैल्यू ऑफर की। जैसे, रसल ने अपने ड्रीम 100 के कंटेंट को सब्सक्राइब किया, उनके पोस्ट पर कमेंट किया और उनके काम को शेयर भी किया। इस अप्रोच की मदद से अब वो इन्फ्लुएंसर्स के ज़्यादा करीब आ गए थे।
अपना ट्रैफिक बढ़ाने के लिए, इम्पोर्टेन्ट इन्फ्लुएंसर्स से जुड़िए और उनके कंटेंट का हिस्सा बनिए। उनसे मदद मांगने से पहले, उनके साथ रिलेशनशिप बनाना शुरू कीजिए। Organic और paid ट्रैफिक के फर्क को समझिए और अपने फायदे के लिए दोनों का इस्तेमाल कीजिए।
Traffic That You Own
ईमेल मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग से ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट है। सोशल मीडिया मार्केटिंग में आप ट्रैफिक बनाने के लिए अपने पोस्ट, algorithm और रैंकिंग के भरोसे रहते हैं। ईमेल ज़्यादा डायरेक्ट होता है। इसमें आप एक ईमेल लिखते हैं, उसे भेजते हैं और सब्सक्राइबर्स को वो मैसेज तुरंत मिल जाता है जो आप शेयर करना चाहते हैं।
ईमेल मार्केटिंग पावरफुल है क्योंकि इसमें आप अपने मैसेज को खुद कंट्रोल करते हैं। ईमेल मार्केटिंग से सेल्स generate करने का सबसे पहला स्टेप है, सब्सक्राइबर्स की एक लिस्ट बनाना। आप लोगों को attract कर उनके ईमेल एड्रेस के बदले में उन्हें एक फ्री e-book, डिस्काउंट या कोई एक्सक्लूसिव कंटेंट जैसी वैल्युएबल चीज़ें ऑफर कर सकते हैं।
अपनी लिस्ट को attract करने के बाद, उन्हें वैल्यू से भरी इमेल भेजिए। एजुकेशनल कंटेंट, प्रोडक्ट डिटेल, स्पेशल ऑफर या एक्शन लेने के कॉल कीजिए। आपका मक्सद होना चाहिए, अपने सब्सक्राइबर्स के साथ रिलेशनशिप बनाना, उनका भरोसा जीतना और आखिर में उन्हें अपना प्रोडक्ट खरीदने के लिए मनाना।
ईमेल मार्केटिंग प्रैक्टिकल है, लेकिन इसमें कुछ चैलेंजेज़ भी हैं। सबसे बड़ी मुश्किल है एक quality ईमेल लिस्ट बनाना। ऐसे सब्सक्राइबर्स को attract करने में टाइम और एफर्ट लगता है जो आपके प्रोडक्ट या सर्विस में सच में दिलचस्पी रखते हैं।
दूसरा चैलेंज है, अच्छा सेंडर reputation मेन्टेन करना। अगर बहुत सारे लोग आपके इमेल को स्पैम में डाल देंगे तो आपके लिए अपने ऑडियंस तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। आपको ऐसा attractive इमेल बनाना होगा जो एक भरे हुए इनबॉक्स में भी अलग से दिखाई दे। आपको अपने ऑडियंस की पसंद-नापसंद को समझना होगा और ऐसा कंटेंट बनाना होगा जो उन्हें attract कर सके।
रसल ब्रंसन का ईमेल मार्केटिंग में बहुत दिलचस्प एक्सपीरियंस रहा है। एक बार उन्होंने ईमेल मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के पोटेंशियल को कैलकुलेट किया। इससे उन्हें पता चला कि अगर उनके 100,00 सब्सक्राइबर्स होते और वो 50$ का कोई प्रोडक्ट बेचते तो इनमें से अगर 1% लोग भी उसे खरीदते तो वो 5,000$ कमा लेते। ये बहुत exciting आईडिया था।
रसल में इस बारे में सोचा कि फ्यूचर में क्या हो सकता है: अगर उनकी लिस्ट में 1,00,000 लोग हों तो क्या होगा? वो 50,000$ कमा सकते हैं और अगर सिर्फ 2% लोग इसे ख़रीदेंगे तो वो 1,00,000$ कमा सकते हैं। ऐसा लग रहा था कि इसमें सक्सेसफुल होने की अनगिनत possibility थी।
लेकिन, इस पोटेंशियल को हकीकत में बदलना आसान नहीं था। रसल ने जल्दी से अपनी ईमेल लिस्ट बनाई. उन्हें एक ऐसी वेबसाइट भी मिली जो उन्हें एक ऐसी CD बेचने को तैयार थी जिसमें एक मिलियन ईमेल एड्रेस थे। उन्हें ये exciting लगा, उन्होंने वो CD खरीद ली और अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करने लगे।
शुरुआत में, उनका मार्केटिंग प्लान अच्छा चल रहा था। ईमेल भेजने के बाद रसल रातोंरात पैसे कमाने के सपने देखने लगे।
लेकिन, अगले दिन उन्होंने देखा कि कुछ ही इमेल लोगों तक पहुंची हैं। उन्हें एक कॉल भी आया था जिसमें उन्हें स्पैम मैसेज भेजने और उन पर लीगल एक्शन लेने की warning दी गई थी, इसलिए उन्होंने अपने कैंपेन को तुरंत बंद कर दिया।
लेकिन रसल ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक ईमेल लिस्ट बनाने और उसे ठीक से इस्तेमाल करने का एक बेहतर तरीका निकाला। उन्होंने सक्सेसफुल ईमेल marketers से सीखना शुरू किया और ये जानने के लिए कि वो कैसे काम करते हैं, उन्होंने कई ईमेल लिस्ट को जॉइन भी किया।
इससे रसल को सब्सक्राइबर्स को वैल्यू देने और उनके साथ रिलेशनशिप बनाने की इम्पोर्टेंस के बारे में पता चला। अब लिस्ट को खरीदने के बजाय उन्होंने ऐसे सब्सक्राइबर्स को attract करने पर ध्यान दिया जो सच में उनके कंटेंट में दिलचस्पी रखते थे।
वक़्त के साथ, रसल ऐसे असरदार ईमेल कैंपेन बनाना सीख गए थे जिनकी मदद से उनके सब्सक्राइबर्स को वैल्यू मिल रहा था और वो उन्हें उनका प्रोडक्ट खरीदने के लिए राज़ी भी कर रहा था। वो ये समझ गए थे कि सक्सेस पाने के लिए अच्छी quality का ईमेल लिस्ट और अच्छा सेंडर reputation मेन्टेन करना बहुत ज़रूरी है। उन्हें ईमेल मार्केटिंग के रेगुलेशन और एथिकल प्रैक्टिस की इम्पोर्टेंस का भी एहसास हुआ।
ईमेल मार्केटिंग, सेल्स generate करने का एक पावरफुल टूल बन सकता है, लेकिन इसमें कुछ मुश्किलें भी आती हैं। अच्छी quality का ईमेल लिस्ट बनाना, अच्छा सेंडर reputation मेन्टेन करना, रेगुलेशन को फॉलो करना और attractive इमेल बनाना, सक्सेस पाने के लिए इम्पोर्टेन्ट टूल्स हैं।
अगर आप अपने बिज़नस के लिए ईमेल मार्केटिंग को यूज़ करना चाहते हैं तो अपने ऑडियंस के साथ रिलेशनशिप बनाकर उन्हें वैल्युएबल कंटेंट देकर इसकी शुरुआत कीजिए। ईमेल लिस्ट खरीदने जैसे शॉर्टकट से दूर रहिए, जिससे स्पैम मेल और लीगल प्रॉब्लम जैसी बड़ी मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं।
इसके बजाय, वक़्त निकालकर एक जेन्युइन और attractive सब्सक्राइबर लिस्ट बनाने की कोशिश कीजिए। आप अपने बिज़नस गोल्स को पाने और बहुत सारी सेल्स generate करने के लिए ईमेल मार्केटिंग की ताकत का फ़ायदा उठा सकते हैं।
Follow-Up Funnels
पिछले चैप्टर से हमने सीखा कि रिलेशनशिप बनाना, डायरेक्ट सेल्स से ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट है। अपने कस्टमर से पहली बार बात करने के बाद, आपको फॉलो अप करना होगा। ज़्यादातर सेल्स सिर्फ एक बार बात करने से नहीं होती है। किसी कस्टमर को कुछ खरीदने के लिए राज़ी करने के लिए आपको उससे कई बार बात करनी होगी।
आप इमेल, फ़ोन कॉल या सोशल मीडिया मैसेज के ज़रिए फॉलो अप कर सकते हैं। अटेंशन पाने पर ध्यान रखिए और अपने ऑफर में अपने पोटेंशियल कस्टमर्स का interest बनाए रखिए। Association of Sales Executives द्वारा की गई एक स्टडी से पता चला है कि 81% सेल्स, पांचवे contact या फिर उसके बाद ही होती है। इसलिए, एक या दो बार कोशिश करने के बाद हार मत मानिए और फॉलो अप करते रहिए।
अपने कस्टमर के बिहेवियर को समझने के लिए, सेल्स फनल्स का इस्तेमाल कीजिए। सेल्स फनल, कस्टमर की जर्नी का एक ऐसा मैप है जिसमें वो आपके प्रोडक्ट के बारे में पहली बार जानता है और फिर उसे खरीदता है। इसे फनल इसलिए कहते हैं क्योंकि कस्टमर बिहेवियर फनल की तरह होता है। सबसे ऊपर, आप कई पोटेंशियल कस्टमर्स से शुरुआत करते हैं और फिर आखिर में थोड़ी ही सेल्स हो पाती है।
सेल्स फनल, कई तरह के होते हैं जिनका मार्केटिंग में अलग-अलग मकसद होता है -
फ्रंट-एंड फनल, आपके उस पहले contact को दिखाता है जो आपको किसी पोटेंशियल लीड्स के बिना मिला था। इसमें आप कुछ वैल्युएबल और सस्ता ऑफर करके लीड्स पाने की कोशिश करते हैं। ये सिंपल सा ऑफर आपके ब्रैंड की अवेयरनेस को बढ़ाता है और लोगों को आपके प्रोडक्ट या सर्विस की तरफ attract करता है।
ब्रेक-इवन फनल का मक्सद प्रॉफिट कमाना नहीं है। इसमें आप सिर्फ अपने बिज़नस के खर्चे को कवर करने के लिए कुछ सिंपल सा ऑफर करते हैं। यहाँ आपका गोल इस बात का ध्यान रखना है कि एक नए कस्टमर को हासिल करने का जितना भी आपका खर्चा है, वो पूरा कवर हो जाए।
फॉलो-अप फनल में आप रियल प्रॉफिट कमाते हैं। इसमें आप ऐसे कस्टमर्स के पास जाते हैं जिन्होंने आपके प्रोडक्ट में पहले से ही दिलचस्पी दिखाई है। आप उन्हें एडिशनल प्रोडक्ट या सर्विस ऑफर करते हैं, जिससे आपकी सेल्स बढ़ जाती है।
रसल ब्रंसन ने 30 दिन में 4 सक्सेसफुल फ्रंट एंड फनल का इस्तेमाल किया था। वो DotCom Secrets book funnel, the 108 Split Tests book funnel, the Perfect Webinar Secrets funnel और the Marketing in Your Car MP3 player funnel चलाने में सक्सेसफुल रहे।
DotCom Secrets book funnel में, रसल ने 5410 लीड्स को attract किया और उन्होंने अपने बुक की 2395 कॉपी बेची। उन्होंने $73,789 की सेल्स की, ad पर $69,026 डॉलर खर्च किए और $4,763 डॉलर का प्रॉफिट कमाया।
The 108 Split Tests book funnel से उन्हें 2,013 लीड्स मिली, उन्होंने 1,357 कॉपी बेचीं और $16,799 की सेल्स की। इसका नेट प्रॉफिट $2,986 था।
The Perfect Webinar Secrets funnel में $3,768 का प्रॉफिट हुआ।
आखिर में, the Marketing in Your Car funnel में $2,899 का प्रॉफिट हुआ।
रसल ने ये पैसा सिर्फ 30 दिन में कमाया था। उन्होंने ad पर ज़्यादा पैसा खर्च किया क्योंकि नई लीड्स पाने के लिए ये शुरुआती फनल था। ये सभी लीड्स ऐसे लॉयल कस्टमर्स बने जिन्होंने ad का खर्चा बढ़ाए बिना कुछ ख़रीदा था। वो पहले से ही जुड़े हुए थे और खरीदने के लिए तैयार थे।
इसलिए, पहले महीने के बाद, nurture किए गए बिना कॉस्ट के नेट प्रॉफिट कमाते हैं। इसलिए, 10% कमाने के लिए 100,000 डॉलर ad पर खर्च करने के बजाय रसल ने 100% प्रॉफिट कमाया था।
इसका लेसन क्लियर है: शुरुआती सेल्स भले ही प्रॉफिटेबल ना हों, लेकिन इफेक्टिव फॉलो-अप स्ट्रेटेजी आपके revenue को बढ़ा सकती हैं। फॉलो अप करने से आपको रिलेशनशिप बनाने, लगातार वैल्यू देने और बिना ad कॉस्ट के लोगों को बार-बार खरीदने के लिए एनकरेज करने में मदद मिलती है।
अलग-अलग फनल और फॉलो-अप की इम्पोर्टेंस को समझने से आप नए कस्टमर्स को attract कर सकते हैं और उन्हें लॉयल कस्टमर्स में बदल सकते हैं। इसलिए, अपनी लीड्स के साथ जुड़ते रहिए और वैल्युएबल डील्स ऑफर करते रहिए और फ़िर देखिए कि आपका बिज़नस कैसे ग्रो करता है।
Cold Traffic
ट्रैफिक का मतलब है कि कितने विज़िटर्स आपकी वेबसाइट को चेक करते हैं या आपके ad को देखते हैं। मार्केटिंग में, तीन तरह के ट्रैफिक हो सकते हैं: हॉट, warm और कोल्ड।
हॉट ट्रैफिक उन लीड्स को कहा जाता है जो आपके प्रोडक्ट के बारे में पहले से जानते हैं और इसे खरीदने के लिए तैयार हैं।
Warm ट्रैफिक में ऐसे लोग आते हैं जो आपके ब्रैंड के बारे में जानते हैं और इसमें दिलचस्पी भी दिखाते हैं लेकिन उन्हें और मनाने की ज़रुरत है।
कोल्ड ट्रैफिक में वो लोग आते हैं जिन्होंने आपके या आपके प्रोडक्ट के बारे में कभी नहीं सुना है और इस बात से अंजान हैं कि उनकी एक प्रॉब्लम को आप सॉल्व कर सकते हैं।
ज़्यादा relatable और टार्गेटेड मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने के लिए आपको इस फ़र्क को समझना होगा।
हॉट लीड्स को बेचना सबसे आसान होता है। ये लोग अपनी प्रॉब्लम के बारे में जानते हैं, वो उसके लिए solution भी ढूँढ चुके हैं और आपका प्रोडक्ट खरीदने के लिए भी तैयार हैं। अगर आप अपने ऑफर को बेस्ट ऑप्शन की तरह रखेंगे तो ये लोग आपकी सर्विस ज़रूर खरीदेंगे।
Warm ट्रैफिक, थोड़ा चैलेंजिंग होता है। इन पोटेंशियल कस्टमर्स को सोचने से खरीदने तक पहुँचने के लिए, ज़्यादा information और भरोसे की ज़रुरत होती है।
कोल्ड ट्रैफिक को बदलना सबसे मुश्किल है क्योंकि इन लोगों को आपके प्रोडक्ट के बारे में कुछ पता नहीं होता है या फिर उन्हें ये भी पता नहीं होता है कि उन्हें इसकी ज़रुरत है भी या नहीं। इन लोगों को कस्टमर बनाने के लिए सबसे ज़्यादा एजुकेशन और nurturing की ज़रुरत होती है।
कस्टमर्स की भी अलग-अलग तरह की अवेयरनेस होती है। कुछ लोगों को अपने प्रॉब्लम और उसके solution के बारे में कोई अंदाज़ा नहीं होता है। कुछ लोगों को ये तो पता होता है कि उनकी प्रॉब्लम क्या है, लेकिन वो नहीं जानते हैं कि आपका प्रोडक्ट उनकी प्रॉब्लम का solution है। कुछ लोग आपके प्रोडक्ट के बारे में तो जानते हैं, लेकिन आपको उन्हें इस बात के लिए मनाना होगा कि आपका प्रोडक्ट आपके competitors से बेहतर है।
कस्टमर के अवेयरनेस लेवल के हिसाब से आपको अपना मार्केटिंग अप्रोच बदलना होगा। अगर किसी कस्टमर को आपके बारे में कुछ भी पता नहीं है तो आप उन्हें उनके प्रॉब्लम बताकर शुरुआत कीजिए।
अगर उन्हें अपने प्रॉब्लम के बारे में पता है, लेकिन वो आपके प्रोडक्ट के बारे में नहीं जानते हैं तो आप solution से शुरुआत कीजिए।
जो लोग आपके प्रोडक्ट के बारे में जानते हैं, तो आप इस बात पर फोकस कीजिए कि उनके लिए आपका प्रोडक्ट बेस्ट ऑप्शन क्यों है।
रसल ब्रंसन ने एक बार ऐसे 2.3 मिलियन लोगों को ईमेल ad भेजकर कोल्ड ट्रैफिक को बदलने की कोशिश की थी, जिनमें ज़्यादातर लोग conservative रिपब्लिकन थे। Warm ट्रैफिक को लेकर उनके पुराने अच्छे एक्सपीरियंस के आधार पर उन्हें इससे बहुत उम्मीद थी।
लेकिन, पैसा कमाने के बजाय रसल ने ad पर $30,000 ख़र्च किया था अजिसे उन्होंने खो दिया था। इससे उन्होंने ये सीखा कि कोल्ड ट्रैफिक, warm ट्रैफिक से अलग होता है। इसके लिए उन्हें एक अलग स्ट्रेटेजी की ज़रुरत है।
डायरेक्ट ad को इस्तेमाल करने के बजाय रसल ने लैंडिंग पेज का इस्तेमाल किया। इसमें कोल्ड लीड्स लैंडिंग पेज पर जाकर एक आर्टिकल पढ़ते हैं। वो ऐसी स्टोरीज़ पढ़ते हैं जो उनके वैल्यूज़ से मैच करते हैं। इसके बाद आर्टिकल में धीरे-धीरे उनके प्रोडक्ट के बारे में बताया जाता है जिससे रीडर्स की करंट अंडरस्टैंडिंग और ऑफर किए गए solution के बीच गैप कम हो जाता है।
इससे रसल को अलग-अलग ऑडियंस के लिए अलग-अलग लैंग्वेज यूज़ करने की इम्पोर्टेंस का एहसास हुआ। उन्होंने सीखा कि अपने ऑफर को introduce करने से पहले अपने कोल्ड लीड्स को educate करना ज़रूरी है। कुछ खरीदने की जर्नी में हर कस्टमर अलग-अलग स्टेज पर होता है और हर स्टेज को हैंडल करने के लिए मार्केटिंग strategy बनाई जानी चाहिए।
अपना अप्रोच बदलने के बाद, रसल ने एक इफेक्टिव कोल्ड-ट्रैफिक कैंपेन बनाया। उन्होंने अपनी लीड्स को nurture करने या educate करने के लिए लैंडिंग पेज, एजुकेशनल कंटेंट और फॉलो-अप इमेल बनाए, जब तक वो इसे खरीदने के लिए तैयार नहीं हो गए।
अगर आप कोल्ड ट्रैफिक को अपने कस्टमर्स में बदलना चाहते हैं, तो उन्हें स्टेप-बाई-स्टेप गाइड कीजिए। इसमें, relatable लैंग्वेज यूज़ कीजिए और धीरे-धीरे कॉम्प्लेक्स आईडियाज़ को introduce कीजिए। इन लोगों को उनकी प्रॉब्लम और उसके solution के बारे में बताइए। अपने प्रोडक्ट के बारे में बताने से पहले उन्हें वैल्युएबल information देकर उनका भरोसा जीतिए।
कोल्ड ट्रैफिक की तरफ अपने अप्रोच को इम्प्रूव करने के लिए अपनी करंट स्ट्रेटेजीज़ को evaluate कीजिए और ज़रूरी एडजस्टमेंट कीजिए। आपके बिज़नस का ग्रोथ सिर्फ एक ही बात पर डिपेंड करता है कि आपको कितना ट्रैफिक मिलता है।
Conclusion
सिर्फ़ अच्छा प्रोडक्ट बनाना काफी नहीं है। आपको उसे बेचना भी आना चाहिए। पहले, एक अच्छा प्रोडक्ट खुद-ब-खुद बिक जाता था क्योंकि मार्केट में competition कम था, लेकिन अब मार्केटिंग स्किल्स सीखना ज़रूरी हो गया है।
इस समरी ने, आपको इफेक्टिव मार्केटिंग के लिए इम्पोर्टेन्ट टूल्स के बारे में बताया।
सबसे पहले, आपने सीखा कि सक्सेसफुल मार्केटिंग के लिए अपने टारगेट कस्टमर को समझना सबसे ज़रूरी है। एक डिटेल्ड कस्टमर avatar बनाकर आप उनकी ज़रूरतों और परेशानियों को सॉल्व करने के लिए अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी को इम्प्रूव कर पाएंगे।
दूसरा, आपने सीखा कि niche ऑनलाइन कम्युनिटीज़ टार्गेटेड मार्केटिंग को और इफेक्टिव बनाती हैं। आप अपने niche के टॉप 100 इन्फ्लुएंसर्स के साथ जुड़कर, वैल्युएबल कनेक्शन बना सकते हैं और अपनी सेल्स को बढ़ा सकते हैं।
तीसरा, आपने सीखा कि स्टोरीटेलिंग मार्केटिंग के लिए इम्पोर्टेन्ट है। कस्टमर्स का अटेंशन खींचने के लिए एक हुक, कनेक्शन बनाने के लिए एक स्टोरी और वैल्यू देने के लिए एक ऑफर का इस्तेमाल करें और अपने ऑडियंस को कस्टमर्स में बदल दें।
चौथा, आपने सीखा कि ट्रैफिक को अपने प्रोडक्ट की तरफ लाने के लि, इन्फ्लुएंसर्स के साथ रिलेशनशिप बनाना ज़रूरी है। Organic और paid मेथड दोनों ही इम्पोर्टेन्ट हैं, लेकिन organic ट्रैफिक, जो strong रिलेशनशिप्स से बनता है वो ज़्यादा वक़्त तक टिकता है।
पांचवा, आपने सीखा कि सोशल मीडिया मार्केटिंग से ज़्यादा पावरफुल है ईमेल मार्केटिंग क्योंकि ये ज़्यादा डायरेक्ट और पर्सनल होता है। सक्सेसफुल होने के लिए अच्छी quality का ईमेल लिस्ट बनाना और अच्छा सेंडर reputation मेन्टेन करना ज़रूरी है।
छठा, आपने सीखा कि लीड्स को कस्टमर्स में बदलने के लिए फॉलो अप करना भी ज़रूरी है। सेल्स फनल, ख़ासकर फॉलो-अप फनल, लीड्स को nurture कर लॉयल कस्टमर्स बनाते हैं और आपके प्रॉफिट को भी बढ़ाते हैं।
आखिर में, आपने सीखा कि अलग-अलग तरह के ट्रैफिक के लिए अलग-अलग मार्केटिंग स्ट्रेटेजी की ज़रुरत होती है। Warm ट्रैफिक को बदलना आसान होता है, जबकि कोल्ड ट्रैफिक में एजुकेशनल कंटेंट के साथ-साथ ये भी ध्यान रखना होता है कि आपके प्रोडक्ट को धीरे-धीरे सामने introduce किया जाए। आपके कस्टमर्स जितना ज़्यादा आप पर भरोसा करेंगे वो उतना ज़्यादा आपका प्रोडक्ट ख़रीदेंगे।
ज़्यादा ट्रैफिक के ज़रिए, अपने ड्रीम 100 लिस्ट से कनेक्ट करके और रोज़ नए लोगों से मिलकर, अपने बिज़नस को इम्प्रूव कीजिए। इस बारे में सोचिए कि आप उन्हें बिज़नस पार्टनर कैसे बना सकते हैं, उन्हें अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए पूछिए और उन्हें आपके ब्रैंड को बार-बार प्रमोट करने के लिए एनकरेज कीजिए।
रिलेशनशिप्स बनाना ही आपको सक्सेस तक ले जाएगा। जितने ज़्यादा लोग आपके ब्रैंड के बारे में बात करेंगे, उतना ज़्यादा आपको ट्रैफिक मिलेगा। अगर आप सही स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करते हैं तो ज़्यादा ट्रैफिक लीड्स से आपको ज़्यादा सेल्स भी मिलेगा।
टेस्ट करते रहिए, सीखते रहिए और अपने स्किल्स को अपडेट करते रहिए। अगर एक स्ट्रेटेजी फेल हो जाए तो दूसरी स्ट्रेटेजी को यूज़ कीजिए। फ्लेक्सिबल बनिए और डटे रहिए। हम इन ट्रैफिक सीक्रेट्स को अप्लाई करने के लिए आपको एंकरेज करते हैं और उम्मीद करते हैं कि ये आपको मार्केट के टॉप पर पहुँचाने में मदद करें।